मां काली के इस मंदिर में आज भी पूजा करने आते हैं अश्वत्थामा

punjabkesari.in Thursday, Mar 22, 2018 - 01:26 PM (IST)

इटावाः उत्तर प्रदेश के इटावा में यमुना नदी के तट पर मां काली का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर के बारे में मान्यता प्रचलित है कि यह महाभारत के कालीन सभ्यता से जुड़ा हुआ है। इस के बारे में जनश्रुति अनुसार इसमें महाभारत काल का अमर पात्र अश्वत्थामा अदृश्य रूप में आकर सबसे पहले पूजा करता है। यह मंदिर इटावा मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। इस मंदिर का नवरात्रि के मौके पर खास महत्व हो जाता है। इस मंदिर में अपनी अपनी मनोकामना को पूरा करने के इरादे से दूर दराज से भक्त गण आते हैं। 

 

कालीवाहन मंदिर के मुख्य महंत राधेश्याम द्विवेदी का कहना है कि कालीवाहन नामक इस मंदिर का अपना एक अलग महत्व है। नवरात्रि के दिनों में तो इस मंदिर की महत्ता अपने आप में खास बन पड़ती है। उनका कहना है कि वे करीब 40 साल से इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं लेकिन आज तक इस बात का पता नहीं लग सका है कि रात में मंदिर को धो करके साफ कर दिया जाता है। इसके बावजूद तड़के जब गर्भगृह खोला जाता है उस समय मंदिर के भीतर ताजे फूल मिलते हैं जो इस बात को साबित करता है कि कोई अदृश्य रूप में आकर पूजा करता है। अदृश्य रूप में पूजा करने वाले के बारे में मान्यता है कि महाभारत के अमर पात्र अश्वत्थामा मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं। इस मंदिर की महत्ता के बारे में कर्मक्षेत्र स्नात्कोत्तर महाविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष डा. शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि इतिहास में कोई भी घटना तब तक प्रमाणिक नहीं मानी जा सकती जब तक कि उसके पक्ष में पुरातात्विक, साहित्यिक, ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध न हो जाएं।

 

श्री शर्मा ने कहा कि जनश्रुतियों के अनुसार कतिपय बातें समाज में प्रचलित हो जातीं हैं यद्यपि महाभारत ऐतिहासिक ग्रंथ है लेकिन उसके पात्र अश्वत्थामा का इटावा में काली मंदिर में आकर पूजा करने का कोई प्रत्यक्ष ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैै। कभी चंबल के खूंखार डाकुओं की आस्था का केंद्र रहे महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े इस मंदिर से डाकुओं का इतना लगाव रहा है कि वो अपने गैंग के डाकुओं के साथ आकर पूजा अर्चना करने में पुलिस की चौकसी के बावजूद कामयाब हुए लेकिन इस बात की पुष्टि तब हुई जब मंदिर में डाकुओं के नाम के घंटे और झंडे चढ़े हुए देखे गए। 


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