सूर्य देव को जल चढ़ाते वक्त कहीं कर तो नहीं रहे ये गलती

punjabkesari.in Wednesday, Mar 29, 2017 - 08:57 AM (IST)

हिंदू शास्त्रों के अनुसार दिन का आरंभ सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी वंदना से किया जाना चाहिए। जब श्री विष्णु धरती पर श्रीराम रूप में अवतरित हुए तो वो भी अपने दिन का आरंभ सूर्य नारायण की पूजा के उपरांत करते थे। मान्यता है की इनकी कृपा दृष्टि से रोग और शोक नष्ट हो जाते हैं। भारत में सूर्योपासना ऋग वैदिक काल से होती आ रही है। सूर्य और इसकी उपासना की चर्चा विष्णु पुराण, भगवत पुराण, ब्रह्मा वैवर्त पुराण आदि में विस्तार से की गई है। सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है क्योंकि उन्हें मूर्त रूप में देखा जा सकता है अर्थात हर कोई इनके साक्षात दर्शन कर सकता है। सूर्य की शक्तियों का मुख्य श्रोत उनकी पत्नी ऊषा और प्रत्यूषा हैं। 


सूर्य देव को जल अर्पित करने का भी एक विधान है। यदि आप विधानपूर्वक उन्हें अर्घ्य नहीं देंगे तो सकारात्मक की बजाय नकारात्मक परिणाम मिलेंगे। अपकी जन्मकुंडली में सूर्य शुभ है तो समाज में मान-सम्मान के साथ-साथ उच्च पद की भी प्राप्ति होगी। हंसते-खेलते परिवार का साथ मिलेगा और रोगों से कोसों दूर रहेंगे। यदि सूर्य कमजोर है तो जीवन में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 


सूर्य देव को अर्घ्य देते वक्त रखें ध्यान

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

 

जब सूर्य लालिमा युक्त हो उस समय उनके दर्शन करके अर्घ्य देना शुभ होता है। 

 

अर्घ्य देते समय हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की सातों किरणें  शरीर पर पड़ती हैं। सूर्य देव को जल अर्पित करने से नवग्रह की भी कृपा रहती है।

 

तीन परिक्रमा करें।

 

मनोवांछित फल पाने के लिए प्रतिदिन इस मंत्र का उच्चारण करें- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।। 


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News