दुश्मन से न हारने वाला अपनों से हारता है

punjabkesari.in Wednesday, Jul 05, 2017 - 09:57 AM (IST)

सांपों के देश में एक ऐसा नेवला पैदा हो गया जो सांपों से ही क्या, किसी भी जानवर से लडऩा नहीं चाहता था। यह बात नेवलों में फैल गई। वे उसे समझाने लगे कि सांपों से लडऩा और उन्हें खत्म करना तो हर नेवले का फर्ज है। नेवले ने पूछा, ‘‘फर्ज क्या?’’


जैसे ही उसने पूछा चारों ओर चर्चा फैल गई कि वह न केवल सांपों का हिमायती और नेवलों का दुश्मन है, बल्कि नए ढंग से सोचता है और नेवलों की परम्पराओं एवं आदर्शों का विरोधी भी है। धीरे-धीरे और नेवले भी कहने लगे कि वह अपनी जाति को नष्ट करना चाहता है। उसके पिता ने उसे पागल कहा, तो भाइयों ने बुजदिल बताया। उस नेवले ने प्रतिवाद किया कि मैं शांति से रहने की बात सोच रहा हूं और उसी की कोशिश कर रहा हूं। तुरंत दूसरा नेवला बोला, ‘‘सोचने का काम तो हमारे दुश्मन करते हैं।’’


फिर उस नेवले के सगे-संबंधियों ने उसे समझाया कि शांति से रहने और किसी का भी प्रतिवाद न करने की जिद छोड़ो क्योंकि जो शक्तिशाली होता है वह हिंसा करने और क्रूर बनने में ही अपना भला देखता है। इसके बिना कोई ताकतवर नहीं बन पाता। समाज में शक्तिशाली बनने का यही उपाय है। हिंसा की शक्ति ही किसी को प्रभुता सम्पन्न बनाती है पर उस नेवले को वह सलाह गले नहीं उतरी। उसने उपद्रवियों की आलोचना और विरोध करने और सत्परामर्श देने का सिलसिला जारी रखा। शांति और मेल-मिलाप की बातें करते दुखी उसके संगी-साथी और सक्रिय हो गए। यह अफवाह फैल गई कि सांपों की तरह उस नेवले के भी जहर के दांत हैं। उस पर मुकद्दमा चलाकर उसे देश निकाले की सजा दे दी गई।


कहानी का आशय है कि जो दुश्मन से नहीं हारता वह अपने ही लोगों के हाथों हराया जा सकता है।


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