जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो करें महात्मा बुद्ध की इस सीख पर अमल

punjabkesari.in Friday, Apr 07, 2017 - 04:50 PM (IST)

बात उस समय की है जब महात्मा बुद्ध विश्व भर में भ्रमण करते हुए बौद्ध धर्म का प्रचार कर रहे थे और लोगों को ज्ञान दे रहे थे। एक बार महात्मा बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ एक गांव में भ्रमण कर रहे थे। उन दिनों कोई वाहन नहीं हुआ करते थे। लोग पैदल ही मीलों की यात्रा करते थे। ऐसे ही गांव में घूमते हुए काफी देर हो गई थी। बुद्ध जी को काफी प्यास लगी थी। उन्होंने अपने एक शिष्य को गांव से पानी लाने की आज्ञा दी। जब वह शिष्य गांव में अंदर गया तो उसने देखा वहां एक नदी थी जहां बहुत सारे लोग कपड़े धो रहे थे, कुछ लोग नहा रहे थे तो नदी का पानी काफी गंदा-सा दिख रहा था।

शिष्य को लगा कि गुरु जी के लिए ऐसा गंदा पानी ले जाना ठीक नहीं होगा, यह सोचकर वह वापस आ गया इसीलिए उन्होंने फिर से दूसरे शिष्य को पानी लाने भेजा। कुछ देर बाद वह शिष्य लौटा और पानी ले आया। महात्मा बुद्ध ने शिष्य से पूछा कि नदी का पानी तो गंदा था फिर तुम साफ पानी कैसे ले आए। शिष्य बोला कि प्रभु वहां नदी का पानी वास्तव में गंदा था लेकिन लोगों के जाने के बाद मैंने कुछ देर इंतजार किया और कुछ देर बाद मिट्टी नीचे बैठ गई तथा साफ पानी ऊपर आ गया। 

बुद्ध यह सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और बाकी शिष्यों को भी सीख दी। हमारा यह जो जीवन है यह पानी की तरह है। जब तक हमारे कर्म अच्छे हैं तब तक सब कुछ शुद्ध है लेकिन जीवन में कई बार समस्या और दुख भी आते हैं जिनसे जीवन रूपी पानी गंदा लगने लगता है। कुछ लोग पहले वाले शिष्य की तरह बुराई को देखकर घबरा जाते हैं और मुसीबत देखकर वापस लौट जाते हैं, वे जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाते। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग जो धैर्यशील होते हैं वे व्याकुल नहीं होते और कुछ समय बाद गंदगी रूपी समस्याएं तथा दुख खुद ही खत्म हो जाते हैं।


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