संकट मोचन से उनके Birthday पर पाएं तप के समान फल
punjabkesari.in Monday, Oct 16, 2017 - 12:25 PM (IST)
राम के कार्य सिद्ध करने वाले हनुमान जी साक्षात रुद्रावतार हैं और संकट मोचन हैं। केसरी नंदन हनुमान जी अतुलित बल के प्रतीक हैं। उनका बल दूसरों के कार्यों को सिद्ध करने और उनके दुखों को दूर करने में व्यय होता है। जीवन में संकट और नाम का गहरा संबंध है। ऐसा कोई व्यक्ति जिसके जीवन में संकट न आया हो, ऐसा कोई पदार्थ भी नहीं जिससे संकट दूर न हुए हों। पदार्थों के भोग से ही संकट आते हैं और पदार्थों के त्याग से ही वे दूर होते हैं। भगवान श्रीराम बाल्य काल से ही सदाशिव की आराधना करते हैं और भगवान शिव भी श्रीराम को अपना परम उपास्य तथा इष्ट देवता मानते हैं, किंतु साक्षात नारायण ने जब नर रूप धारण कर श्रीराम के नाम से अवतार ग्रहण किया तो शंकर जी शिव रूप में नर रूप की कैसे आराधना कर सकते थे इसीलिए राम की भक्ति के लिए शिव ने लिया रुद्रावतार हनुमान का अवतार लिया। हनुमान वानरराज केसरी के यहां माता अंजनी के गर्भ से जन्मे।
हनुमान जी की जयंती के प्रति विद्वानों में मतभेद हैं। हनुमान जी के भक्त उनकी जयंती प्रथम चैत्र पक्ष पूर्णिमा और द्वितीय कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाते हैं। हनुमान जी उन्हीं पर कृपा करते हैं जिनका हृदय शुद्ध हो तथा विचार नेक हों।
‘‘कुमति निवार सुमति के संगी’’
हनुमान जी की पूजा करके हमें गुणों का अनंत सागर-सा दिखाई पडऩे लगता है। हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से संकट दूर हो जाते हैं।
‘‘संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमरे हनुमत बलबीरा’’
स्वयं श्रीराम ने हनुमान के गुणों की व्याख्या करते हुए उनको अपने भ्राता भरत के समान माना है।
‘‘रघुपति किन्हीं बहुत बढ़ाई तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई’’
हनुमान जी भगवान श्रीराम के सर्वोत्तम दास भक्त हैं। कहा जाता है कि आज भी जहां श्रीराम कथा या कीर्तन होता है, वहां हनुमान जी किसी न किसी रूप में विद्यमान रहते हैं। हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हनुमान चालीसा का जो सौ बार पाठ करता है, वह सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है। भूत-प्रेत व ऊपरी बाधा हेतु :-
‘‘भूत-पिशाच निकट नहीं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।’’
इस मंत्र का जाप मूंगा से बनी माला से हनुमान जी की प्रतिमा के समक्ष करने से शीघ्र अति शीघ्र प्रसन्न होने पर उत्तम फल मिलता है। हनुमान जी को चूरमे का प्रसाद अधिक पसंद है। गुड़ एवं चने का प्रसाद भी श्रेष्ठ है। किशमिश एवं अन्न के प्रसाद से शीघ्र प्रसन्न हो मनोकामना पूर्ण करते हैं। पूजन के लिए लाल वस्त्र, लाल आसन का प्रयोग श्रेष्ठ होता है। हनुमान जी की उपासना खड़े होकर करने से तप भी शामिल हो जाता है।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
Rang Panchami : रंग पंचमी पर कर लें यह उपाय, मां लक्ष्मी का घर में होगा वास
Rang Panchami: रंगपंचमी पर धरती पर आएंगे देवी-देवता, इस विधि से करें उन्हें प्रसन्न
मैड़ी मेले में आए अमृतसर के श्रद्धालु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पुलिस जांच में जुटी
नाहन-हरिपुरधार मार्ग पर वैन दुर्घटनाग्रस्त, पेड़ ने बचाई 3 लोगों की जान