कल का दिन है खास, रोगों से छुटकारा पाने के लिए करें ये काम

punjabkesari.in Tuesday, Mar 06, 2018 - 07:56 AM (IST)

बुधवार दि॰ 07.03.18 को चैत्र कृष्ण षष्ठी तिथि और विशाखा नक्षत्र के मेल से व्याघात योग बन रहा है। विशाखा का अर्थ है विभाजित शाखा, इस नक्षत्र के स्वामी इन्द्र और अग्नि हैं। विकंकत के पेड़ को विशाखा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है। बुधवार का दिन ओर विशाखा नक्षत्र प्रकृति व वनस्पति को संबोधित है। इस योगायोग के कारण आज वनस्पति की देवी शाकंभरी की आराधना करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। देवी भागवतम में वर्णित मूर्ति रहस्य में शाकंभरी स्वरूप का वर्णन है। देवी शाकंभरी का वर्ण नीला है, नील कमल के सदृश ही इनके नेत्र हैं। ये पद्मासना हैं अर्थात् कमल पुष्प पर ही ये विराजती हैं। इनकी एक मुट्ठी में कमल है और दूसरी मुट्ठी में बाण। 


पौराणिक वृतांत के अनुसार देवी शाकंभरी आदिशक्ति अवतारों में से एक हैं। कालांतर में भूलोक पर दुर्गम नामक दैत्य के प्रकोप से लगातार सौ वर्ष तक वर्षा न होने के कारण प्रजा त्राहिमाम करने लगी। ब्रह्मदेव के वरदान के बल पर दुर्गमासुर ने देवताओं से चारों वेद चुरा लिए थे। देवी शाकंभरी ने दुर्गमासुर का अंत कर देवगणो को पुनः वेद लौटाए। देवी शाकंभरी की संपूर्ण देह में सौ नेत्र समाए हैं इसी कारण शास्त्रों ने इन्हें शताक्षी भी कहा हैं। शताक्षी ने जब नजर उठाई तो धरती हरी-भरी हो गई, नदियों में जल धारा बह चली, वृक्ष औषधियों से परिपूर्ण हो गए। देवी अपने शरीर से उत्पन्न शाक से संसार का पालन करती हैं इसी कारण इनका नाम शाकंभरी पड़ा। इनके विशेष पूजन व उपाय से रोगों से छुटकारा मिलता है, शारीरिक विकारों से मुक्ति मिलती है, सांसरिक खुशहाली आती है व जीवन से गरीबी दूर होती है।


पूजन विधि: घर की पूर्व दिशा में हरा वस्त्र बिछाकर शाकंभरी का चित्र स्थापित कर विधिवत षोडशुपचार पूजन करें। नारियल तेल का दीप करें, सुगंधित धूप करें, गौरोचन से तिलक करें, मेहंदी अर्पित करें, पालक के पत्ते चढ़ाएं व लौकी का भोग लगाएं। किसी माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें। पूजन उपरांत भोग गाय को खिला दें। 


पूजन मुहूर्त: शाम 19:20 से रात 08:250 तक।
पूजन मंत्र: ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति शाकंभरी स्वाहा॥


उपाय
शारीरिक विकारों से मुक्ति हेतु शाकंभरी पर चढ़े मूंग पक्षियों को डालें।


सांसारिक खुशहाली हेतु शाकंभरी पर चढ़ी 11 इलायची तिजोरी में रखें।


गरीबी से मुक्ति पाने हेतु शाकंभरी पर चढ़ी पालक काली गाय को खिलाएं।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 


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