पावन-पुण्य वातावरण में आपको भी आती है ये Feeling, जानें कारण

punjabkesari.in Friday, Dec 08, 2017 - 11:58 AM (IST)

एक नदी के किनारे मछुआरों की एक बस्ती थी। मछुआरे सारा दिन नदी में मछलियां पकड़ते और शाम को पास ही नगर में स्थित बाजार में उन्हें बेच आते। इस तरह उनकी आजीविका चलती थी। एक दिन कुछ मछुआरिनों को बाजार में मछलियां बेचते-बेचते काफी देर हो गई और जब वे लौटने लगीं, तब तक रात घिर आई थी।


वे तेजी से डग भरते हुए वापस अपनी बस्ती की ओर चली जा रही थीं। तभी आसमान में बादल घिर आए और जोर-जोर से हवा चलने लगी। अंधेरा अब और भी घना हो गया था। बस्ती अभी भी दूर थी, लिहाजा उन्होंने नगर में ही किसी से रात बिताने के लिए आसरा मांगने की सोची। सहसा उन्हें एक घर नजर आया। वह एक मालिन का घर था। मालिन के द्वार पर पहुंचकर मछुआरिनों ने उससे प्रार्थना की, ‘‘इस मौसम में हम घर नहीं जा पाएंगी। कृपया हमें रात में सिर छिपाने के लिए थोड़ी-सी जगह दे दें।’’


मालिन सहृदयी महिला थी। वह उन्हें शरण देने के लिए तैयार हो गई। इसके बाद मछुआरिनों ने अपनी टोकरियों को वहीं बाहर छोड़ा और मालिन के साथ उसके घर में प्रवेश कर गईं। मालिन ने उनके लिए एक कमरा खोल दिया। उस कमरे में फूलों से भरी टोकरियां रखी थीं, जिन्हें मालिन को प्रात: बाजार में बेचने के लिए ले जाना था। मछुआरिनें टोकरियों से थोड़ा हटकर लेट गईं। मगर उन्हें नींद नहीं आ पा रही थी। फूलों की खुशबू उन्हें बेचैन कर रही थी। 


एक मछुआरिन ने कहा, ‘‘इन फूलों की गंध के साथ तो हम पूरी रात नहीं सो पाएंगी। कुछ तो करना ही पड़ेगा।’’


एक मछुआरिन बोली, ‘‘अरे, बाहर जो हमारी टोकरियां रखी हैं, उन पर थोड़ा पानी छिड़क देते हैं। इससे उनमें से मछलियों की गंध उठेगी। मछलियों की गंध में इन फूलों की गंध दब जाएगी और तब हम चैन से सो सकेंगी।’’ 


सबको उसका सुझाव भा गया।


इसके बाद उन्होंने अपनी टोकरियों पर पानी छिड़का और भीतर लाकर अपने सिरहाने रख लिया। कुछ ही देर में कमरा उनके खर्राटों से गूंजने लगा। उधर मालिन उनके इस सारे कौतुक को देख रही थी। वह सोचने लगी कि संसार के सभी जीवों की यही स्थिति है। जो लोग भोग-विलास और विषय-सुख में पले होते हैं, वे पावन-पुण्य वातावरण में जाते ही व्याकुल होने लगते हैं और पुन: उसी दूषित वातावरण में जाने को छटपटाने लगते हैं। 


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