प्रवेश द्वार हो गृह स्वामी की कुंडली के अनुसार तो मिलेगा नाम, यश और कामयाबी

punjabkesari.in Monday, Aug 14, 2017 - 05:32 PM (IST)

नाम, यश, कामयाबी भला किसे नहीं भाती। हर कोई जीवन में सफल होना चाहता है लेकिन मेहनत और संघर्ष के बावजूद कई बार सफलता हाथ नहीं लगती। कहीं इसका कारण आपके घर के मुख्य द्वार का सही दिशा में न होना तो नहीं। वास्तु के दृष्टिकोण  से आपके घर का मुख्य द्वार तो कहीं आपकी तरक्की के आड़े नहीं आ रहा? साथ ही मुख्य द्वार वास्तु के अनुकूल न होने पर कई तरह की परेशानियों और व्याधियों से भी आप घिर जाते हैं। घर का मुख्य दरवाजा अन्य दरवाजों की अपेक्षा ऊंचा और मोटा होना चाहिए।  घर का मुख्य द्वार सुंदर, आकर्षक और बड़ा बनाना चाहिए। इससे घर में सुख, ऐश्वर्य, समृद्धि, धन वैभव रहता है परंतु प्राय: हम इस पर गौर नहीं करते... खासकर मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली जैसे महानगरों में व्यावसायिकता के चलते बिल्डर आदि इन पहलुओं पर ध्यान ही नहीं देते।


क्या होने से क्या होगा?
यदि हमारे गृह भवन के आग्नेय कोण में पूर्व दिशा की तरफ दरवाजे हों तो यहां रहने वाले हमेशा बीमारी का सामना करते हैं और दूसरे लोग इन लोगों का पैसा लूट ले जाते हैं।


यदि हमारे गृह, भवन की दक्षिण दिशा में दरवाजे हों तो रहने वालों के पास धन-दौलत तो रहती है लेकिन बीमारी उनका पीछा नहीं छोड़ती। 


यदि भवन के वायव्य कोण की उत्तर दिशा में दरवाजे हों तो यहां रहने वालों को गृह क्लेश, कोर्ट केस, कर्ज, चिंता, दुश्मनी झेलनी पड़ती है।


ध्यान दें 
निम्र कोटि के स्थान पर मुख्य द्वार कदापि न बनाएं। अन्यथा भवन में निवास करने वाले अनेक विकारों एवं परेशानियों के शिकार हो जाएंगे।


मुख्य द्वार किसी भी दिशा में हो, पर वहां साफ-सफाई पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।


जल से भरा हुआ कलश मुख्य द्वार पर रखने से कई प्रकार की व्याधि घर के बाहर ही रह जाती है।


मुख्य द्वार के अंदर प्रवेश करने पर बाईं ओर कुछ भी नहीं रखें। इससे वायु का प्रवाह मुख्य द्वार से सही तरीके से घर में होगा। अक्सर लोग जूते का रैक मुख्य द्वार के बाईं तरफ रखते हैं, ऐसा न करें।

 

मुख्य द्वार की दिशा 
घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में (वायु तत्व) हो तो यहां रहने वालों के पास सदा धन-वैभव रहता है और सफलता हाथ लगती है।


पूर्व दिशा में द्वार हों तो यहां रहने वालों को नाम, यश, ऐश्वर्य तथा वंश वृद्धि होती है। कम समय में तरक्की की कई सीढिय़ां पार करते हैं। साथ ही वे सुखी जीवन भी बिताते हैं।


आग्नेय कोण में दक्षिण दिशा में द्वार वहां रहने वालों की आर्थिक स्थिति ठीक रखता है।


यदि गृह/भवन की दक्षिण दिशा में दरवाजे हों तो यहां रहने वालों के पास धन-दौलत तो रहता है परंतु वे अक्सर बीमार भी रहते हैं।


ईशान कोण में द्वार से वहां रहने वालों की वंश वृद्धि और लक्ष्मी-कृपा हमेशा बनी रहती है।


यदि हमारे गृह, भवन के नैऋत्य कोण के पश्चिम दिशा में दरवाजे हों तो उनके पास धन की कमी नहीं होती लेकिन दूसरे लोग उनकी दौलत को लूट भी लेते हैं। अत: सावधानी बरतना जरूरी है। 


हमारे गृह/भवन के पश्चिम में खिड़की, दरवाजे हों तो यहां रहने वालों को अधिक खर्च उठाना पड़ता है। सुख, धन-वैभव सामान्य रहता है।


हमारे गृह/भवन के वायव्य कोण की पश्चिम दिशा में दरवाजे हो तो यहां रहने वालों को सुख, ऐश्वर्य, सफलता और धन-दौलत मिलता है।


दक्षिण दिशा में पृथ्वी तत्व व्याप्त माना गया है। यह दिशा मुक्तिकारक है। यहां मुख्य द्वार वाले भवन-स्वामी की प्रकृति में स्थिरता का विशेष स्थान रहता है। दक्षिणमुखी मुख्य द्वार में बालकनी दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर बनानी चाहिए।


द्वार की संख्या 
यदि किसी भवन में एक ही मुख्य द्वार बनाना हो तो शुभ फल प्राप्त करने के लिए पूर्व दिशा अथवा उत्तर दिशा में ही बनवाना चाहिए।


यदि भवन दक्षिणमुखी अथवा पश्चिममुखी है तो उसमें कभी एक ही प्रवेश द्वार न बनवाएं।


भवन में दो मुख्य द्वार बनाने हों तो शुभ फल के लिए द्वारों को पूर्व व दक्षिण दिशा, पूर्व एवं पश्चिम दिशा या उत्तर तथा दक्षिण दिशा में ही बनवाएं। दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में ही दो द्वार कभी भी न बनवाएं, क्योंकि भवन में एक प्रवेश द्वार पूर्व दिशा अथवा उत्तर दिशा में होना अनिवार्य है।


यदि भवन में तीन दिशाओं में द्वार बनाना हो तो उत्तर एवं पूर्व दिशा में तो द्वार बनवाना जरूरी है, तीसरा द्वार अपनी सुविधानुसार पश्चिम तथा दक्षिण दिशा में बनवा सकते हैं।


यदि भवन में चारों दिशाओं में द्वार बनाने हैं तो उच्च कोटि के स्थान पर ही मुख्य द्वार बनाना चाहिए।


कभी भी नैऋत्य कोण में मुख्य द्वार न बनवाएं।


किस प्रधान व्यक्ति को किस दिशा से प्रवेश नहीं करना चाहिए... 
हमारे जन्म से यानी किस लग्न में हमारा जन्म हुआ, उससे भी वास्तु अनुसार हमारी तरक्की प्रभावित होती है। बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होती है। इसलिए अब हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि किस प्रधान व्यक्ति को किस दिशा से प्रवेश नहीं करना चाहिए।


चंद्र प्रधान व्यक्ति को नैऋत्य कोण से प्रवेश नहीं करना चाहिए
मंगल प्रधान को दक्षिण दिशा से...
बुद्ध प्रधान को आग्नेय कोण से...
बृहस्पति प्रधान को पश्चिमोत्तर दिशा से...
शुक्र प्रधान को वायव्य कोण से...
शनि प्रधान व्यक्ति को ईशान कोण से...और
सूर्य प्रधान व्यक्ति को पश्चिम दिशा से प्रवेश नहीं करना चाहिए।


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