इन लोगों के घर कभी न करें भोजन वरना होगी नरक की प्राप्ति

punjabkesari.in Wednesday, Nov 29, 2017 - 04:10 PM (IST)

गरूड़ पुराण वैष्णव संप्रदाय से संबंधित है और सनातन धर्म में मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना जाता है। अठारह पुराणों में गरुड़ महापुराण का अपना एक विशेष महत्व है और इसके अधिष्ठातृदेव भगवान विष्णु हैं। गरूड़ पुराण में विष्णु-भक्ति का विस्तार से वर्णन किया गया। इसमें भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों का वर्णन ठीक उसी प्रकार है, जिस प्रकार 'श्रीमद्भागवत' में उपलब्ध है।

 

इसमें 279 अध्याय तथा 18,000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में मृत्यु पश्चात की घटनाओं, प्रेत लोक, यम लोक, नरक तथा 84 लाख योनियों के नरक स्वरुपी जीवन आदि के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके अलावा भी इस ग्रंथ में कई मानव उपयोगी बातें लिखी है जिनमें से एक है कि किस तरह के लोगों के घर भोजन नहीं करना चाहिए।

 

एक पुरानी कहावत है, जैसा खाएंगे अन्न, वैसा बनेगा मन। यानी हम जैसा भोजन करते हैं, ठीक वैसे ही सोच और विचार बनते हैं। इसका सबसे सशक्त उदाहरण महाभारत में मिलता है जब तीरों की शैय्या पर पड़े भीष्म पितामह से द्रोपदी पूंछती हैं-

 

“आखिर क्यों उन्होंने भरी सभा में मेरे चीरहरण का विरोध नहीं किया जबकि वो सबसे सशक्त और बड़े थे।” तब भीष्म पितामह कहते हैं कि मनुष्य जैसा अन्न खाता है वैसा ही उसका मन हो जाता है। उस वक्त मैं कौरवों का अधर्मी अन्न खा रहा था इसलिए मेरा दिमाग भी वैसा ही हो गया और मुझे उस कृत्य में कुछ गलत नजर नहीं आया।

 

हमारे समाज में एक परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है कि लोग एक-दूसरे के घर पर भोजन करने जाते हैं। कई बार दूसरे लोग हमें खाने की चीजें देते हैं। वैसे तो यह एक सामान्य सी बात है, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि किन लोगों के यहां हमें भोजन नहीं करना चाहिए और किन लोगों के नहीं।


 
गरुड़ पुराण के आचार कांड में बताया गया है कि हमें किन 10 लोगों के यहां भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। यदि हम इन लोगों के द्वारा दी गई खाने की चीजें खाते हैं या इनके घर भोजन करते हैं तो इससे हमारे पापों में वृद्धि होती है। 

 

कोई चोर या अपराधी
किसी चोर या अपराधी सिद्ध हो चुके व्यक्ति के घर का भोजन कभी नहीं करना चाहिए। इसले उसके पापों का असर हमारे जीवन पर पड़ने लगता है।


 
चरित्रहीन स्त्री
इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चरित्रहीन स्त्री के हाथ से बना हुआ कुछ भी या उसके घर पर भोजन न करें। यहां चरित्रहीन स्त्री का अर्थ यह है कि जो स्त्री स्वेच्छा से पूरी तरह अधार्मिक आचरण करती है। गरुड़ पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति ऐसी स्त्री के यहां भोजन करता है, वह भी उसके पापों का फल प्राप्त करता है।

 

सूदखोर
वैसे तो आज के समय में काफी लोग ब्याज पर दूसरों को पैसा देते हैं, लेकिन जो लोग दूसरों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए अनुचित रूप से अत्यधिक ब्याज प्राप्त करते हैं, गरुड़ पुराण के अनुसार उनके घर पर भी भोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि किसी भी परिस्थिति में दूसरों की मजबूरी का अनुचित लाभ उठाना पाप माना गया है। 


 
रोगी व्यक्ति

यदि कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो, कोई व्यक्ति छूत के रोग का मरीज हो तो उसके घर भी भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति के यहां भोजन करने पर हम भी उस बीमारी की गिरफ्त में आ सकते हैं। लंबे समय से रोगी इंसान के घर के वातावरण में भी बीमारियों के कीटाणु हो सकते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।


अत्यधिक क्रोधी व्यक्ति
क्रोध इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है। अक्सर क्रोध के आवेश में व्यक्ति अच्छे और बुरे का फर्क भूल जाता है। इसी कारण व्यक्ति को हानि भी उठानी पड़ती है। जो लोग हमेशा ही क्रोधित रहते हैं, उनके यहां भी भोजन नहीं करना चाहिए। यदि हम उनके यहां भोजन करेंगे तो उनके क्रोध के गुण हमारे अंदर भी प्रवेश कर सकते हैं।

 

नपुंसक या किन्नर
किन्नरों को दान देने का विशेष विधान बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इन्हें दान देने पर हमें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि इन्हें दान देना चाहिए, लेकिन इनके यहां भोजन नहीं करना चाहिए। किन्नर कई प्रकार के लोगों से दान में धन प्राप्त करते हैं। इन्हें दान देने वालों में अच्छे-बुरे, दोनों प्रकार के लोग होते हैं।

 

निर्दयी व्यक्ति
यदि कोई व्यक्ति निर्दयी है, दूसरों के प्रति मानवीय भाव नहीं रखता है, सभी को कष्ट देता रहता है तो उसके घर का भी भोजन नहीं खाना चाहिए। ऐसे लोगों द्वारा अर्जित किए गए धन से बना खाना हमारा स्वभाव भी वैसा ही बना सकता है। हम भी निर्दयी बन सकते हैं। क्योंकि जैसा खाना हम खाते हैं, हमारी सोच और विचार भी वैसे ही बनते हैं।

 

निर्दयी राजा
यदि कोई राजा निर्दयी है और अपनी प्रजा का ध्यान न रखते हुए सभी को कष्ट देता है तो उसके यहां का भोजन नहीं करना चाहिए। राजा का कर्तव्य है कि प्रजा का ध्यान रखें और अपने अधीन रहने वाले लोगों की आवश्यकताओं को पूरी करें। जो राजा इस बात का ध्यान न रखते हुए सभी को सताता है, उसके यहां का भोजन नहीं खाना चाहिए।

 

चुगलखोर व्यक्ति
जिन लोगों की आदत दूसरों की चुगली करने की होती है, उनके यहां या उनके द्वारा दिए गए खाने को भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। चुगली करना बुरी आदत है। चुगली करने वाले लोग दूसरों को परेशानियों में फंसा देते हैं और स्वयं आनंद उठाते हैं। इस काम को भी पाप की श्रेणी में रखा गया है। अत: ऐसे लोगों के यहां भोजन करने से बचना चाहिए।

 

नशीली चीजें बेचने वाले
जो लोग नशीली चीजों का व्यापार करते हैं यां नशीले पदार्थों का स्वन करते हैं गरुड़ पुराण में उनके यहां भी भोजन करना वर्जित किया गया है। नशे के कारण कई लोगों के घर बर्बाद हो जाते हैं। इसका दोष नशा बेचने वालों को भी लगता है। ऐसे लोगों के यहां भोजन करने पर उनके पाप का असर हमारे जीवन पर भी होता है।


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