25 मार्च को न पीएं जल, शनिदेव होंगे प्रसन्न

punjabkesari.in Friday, Mar 24, 2017 - 11:47 AM (IST)

25 मार्च शनिवार को प्रदोष व्रत है, जिसे शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में इस व्रत को अत्यंत शुभदायक माना गया है। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत चंद्र मास की त्रयोदशी पर किया जाता है। इस व्रत में महादेव भोले शंकर की पूजा की जाती है। शनिवार का दिन शनिदेव को प्रिय है। भगवान शिव शनिदेव के गुरू हैं। उनकी कृपा से ही वे दण्डाधिकारी बने। जो व्यक्ति इस दिन भोलेबाबा का पूजन करता है, उस पर शनिदेव प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। 


प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें। संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करना चाहिए। इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से व्रती को पुण्य मिलता है।


भगवान शिव का शिव षड़ाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय बोलते हुए काले तिल काले शिवलिंग पर चढ़ाएं। 


भगवान शिव को दूध से बनी कोई भी सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। शनि दशा का अशुभ प्रभाव समाप्त होगा। 


गाय के घी का दीप शिवलिंग के आगे अर्पित करें, सरसों के तेल का दीप शनि के समक्ष अर्पित करें। मानसिक सुख-शांति और सफलता प्राप्त होगी।


108 आंकड़े के फूल शिवलिंग पर अर्पित करें। कलह और विवाद का होगा अंत।


जिन व्यक्तियों को जीवन में में बार-बार कष्ट और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है अथवा जिनका व्यवसाय काफी मेहनत करने के बाद भी फलीभूत नहीं हो पाता है, वह शुभ फलों के लिए शनि प्रदोष पर भोले बाबा के काल भैरव रूप और शनिदेव की आराधना करें। प्रसाद स्वरूप साबुत उड़द में दही और शहद मिलाकर अर्पित करें।


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