जितनी बड़ी जिम्मेवारी, उतना विकास

punjabkesari.in Friday, Oct 13, 2017 - 11:08 AM (IST)

बाढ़ का पानी दिशाविहीन होकर बहता है। इसी प्रकार हमारे जीवन में यदि ऊर्जा को कोई दिशा नहीं प्रदान की जाती तो यह दिग्भ्रमित हो जाती है। जब तुम प्रसन्न होते हो तो तुम्हारे अंदर अत्यधिक जीवन ऊर्जा होती है लेकिन जब जीवन ऊर्जा यह नहीं जानती है कि कहां और कैसे जाना है तब यह अवरुद्ध होकर जड़ हो जाती है। 


जीवन ऊर्जा को एक दिशा में चलने के लिए वचनबद्धता आवश्यक है। एक विद्यार्थी किसी स्कूल या कॉलेज में एक वचनबद्धता के साथ प्रवेश लेता है। तुम डॉक्टर के पास वचनबद्धता के साथ जाते हो कि डॉक्टर जो कुछ उपचार बताता है, उसको सुनते हो या उसके द्वारा दी गई औषधि को लेते हो। बैंक एक वचनबद्धता के साथ कार्य करते हैं।


यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि एक परिवार भी वचनबद्धता के साथ चलता है। मां बच्चे के साथ प्रतिबद्ध है व बच्चा अपने मां-बाप के प्रति प्रतिबद्ध है। पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ वचनबद्ध हैं। जीवन के किसी भी क्षेत्र में, चाहे वह प्यार हो या व्यवसाय हो या मित्रता, वचनबद्धता अवश्य होती है। यह जीवन में अनुशासन लाती है। हमारी शक्ति, क्षमता या कार्यकुशलता हमारी वचनबद्धता के समानुपाती होती है। यदि तुम अपने परिवार का पालन-पोषण करने की वचनबद्धता लेते हो तो तुम्हें उतनी शक्ति या क्षमता प्राप्त होती है। यदि तुम्हारी वचनबद्धता किसी समुदाय के प्रति है तो तुम्हें उतनी अधिक मात्रा में शक्ति, प्रसन्नता और क्षमता प्राप्त होती है।


जो तुम कर सकते हो, उसको करने में तुम्हारा कोई विकास नहीं होता है। अपनी क्षमता के बाहर हाथ-पैर फैलाने से तुम्हारा विकास होता है। जैसे ही तुम और अधिक उत्तरदायित्व लेते हो, तुम्हारी क्षमता, बुद्धिमता, प्रसन्नता बढ़ जाती है और तुम दैविक शक्ति के साथ एकीकृत हो जाते हो। जिस किसी भी क्षमता में तुम अपने समाज, पर्यावरण और इस प्रकृति के लिए कुछ करते हो, उतना ही तुम्हारे अंदर भौतिक तथा आध्यात्मिक विकास होता है। तुम्हारा हृदय इस अनुभव के साथ खुल जाता है कि तुम हर एक का हिस्सा हो।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News