देव दीपावली: 31 हजार दीपकों की रोशनी से जगमगाएगा मथुरा

punjabkesari.in Friday, Nov 03, 2017 - 02:15 PM (IST)

मथुरा: उत्तर प्रदेश में कान्हा की नगरी मथुरा में चार नवंबर को देव दीपावली के मौके पर यमुना तट पर 31 हजार दीपक औलोकिक छटा बिखेरेंगे। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार चातुर्मास में सभी तीर्थ ब्रजमंडल में आ जाते हैं और चार माह तक ब्रज में ही रहते हैं। इसके पीछे नन्दबाबा और मां यशोदा की तीर्थाटन करने की इच्छा को कान्हा के सामने प्रकट करना है। श्यामसुन्दर ने इसके बाद ही सभी तीर्थों को ब्रजमंडल में प्रकट किया था और इसी कारण चातुर्मास में ब्रज चैरासी कोस की परिक्रमा लगती है। 


प्रयागराज का तीर्थो पर कितना असर है इसे देखने के लिए श्यामसुन्दर ने रासलीला करने का निश्चय किया। चतु: संप्रदाय वैष्णव परिषद के महन्त फूलडोल बिहारी दास महराज के अनुसार एक बार जब श्यामसुन्दर राधारानी के साथ रासलीला करने के लिए वन विहार पर गए तो उन्होंने तीर्थराज प्रयाग से कहा कि वे उनकी अनुपस्थिति में यह देखें कि सभी तीर्थ सही तरीके से काम करें। जब वे रासलीला कर कुछ दिनों बाद वापस आए तो उन्होंने तीर्थराज से पूछा कि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी तो नही हुई और क्या सभी तीर्थों ने उन्हें सहयोग किया है। तो प्रयागराज ने कहा कि उन्हें सभी तीर्थों ने तो सहयोग किया है किंतु मथुरा तीर्थ ने सहयोग नही किया है। 


इस पर श्यामसुन्दर ने प्रयागराज से कहा कि उन्होंने उनको तीर्थों का राजा बनाया था पर अपने घर का राजा नहीं बनाया था। इसके बाद प्रयागराज श्यामसुन्दर के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए और कहा कि प्रायश्चित स्वरूप वे सजा भुगतने को तैयार हैं।  उन्होंने बताया कि इस पर श्यामसुन्दर ने कहा कि वे सभी तीर्थों को लेकर चातुर्मास में ब्रज में ही रहें। तीर्थों के रहने के कारण देवी-देवता भी यहां रहते हैं क्योंकि तीर्थ के देव के बिना तीर्थ का अस्तित्व ही नही है।


देव दीपावली के संबंध में देव दीपावली महोत्सव समिति एवं तीर्थ परोहित महासंघ मथुरा के मार्गदर्शक मंडल के प्रमुख सदस्य प्रयागनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि जिस प्रकार मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम के 12 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या आने पर दीपावली मनाई गई थी उसी प्रकार देवो और तीर्थो की विदाई पर ब्रज में देव दीपावली मनाई जाती है। ब्रजवासी देवताओं के जाने पर उनके अगले साल पुन: आगमन की कामना के साथ देव दीपावली मनाते हैं। 


उन्होंने इस संबंध में एक पौराणिक दृष्टान्त देते हुए बताया कि एक समय त्रिपुरासुर राक्षस देवताओं के लिए बहुत अधिक समस्या बन गया था। जब देवता उसे पराजित न कर सके और न ही उसका बध कर सके तो वे भगवान शंकर के पास गए। महादेव ने त्रिपुरासुर का बध कर तीनों लोकों को उसके अत्याचार से मुक्त करवाया। देवताओं ने महादेव की विजय और त्रिपुरासुर के बध से खुश होकर दीप प्रज्वलित किये थे। समय के साथ-साथ दीपकों की संख्या बढ़ती गई और इसे देव दीपावली कहा जाने लगा। 


देव दीपावली महोत्सव समिति के अध्यक्ष सोहनलाल शर्मा ने बताया कि तीर्थ पुरोहित महासंघ के सहयोग से यह महोत्सव चार नवंबर को शाम पांच बजे विश्राम घाट पर शुरू होगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा एवं विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश के दुग्ध विकास, धार्मिक कार्य, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला पंचायत अध्यक्षा ममता चौधरी करेंगी। कार्यक्रम में विधायक पूरन प्रकाश एवं विधायक कारिन्दा सिंह को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है।


कार्यक्रम के सह संयोजक अजय चतुर्वेदी ने बताया कि गोपाल वैष्णव पीठाधीश्वर आचार्य डा. पुरूषोत्तमलाल महराज,चतु: संप्रदाय वैष्णव परिषद के महन्त फूलडोल बिहारी दास महराज, महामंडलेश्वर नवल गिरि महराज, स्वामी रामदेवानन्द महराज, स्वामी आदित्यानन्द महाराज, भागवत शिरोमणि संत श्री राजा बाबा महराज का पावन सानिध्य भी इस कार्यक्रम में रहेगा।  उन्होंने बताया कि इसके तहत इकतीस हजार दीपक यमुना तट पर विश्राम घाट से लेकर विभिन्न घाटों में जलाए जाएंगे तथा कार्यक्रम स्थल पर निम्न प्रकार के वेद मंत्रों का वाचन होगा:-  

शुभम करोति कल्याणम, आरोग्यम धन संपदा। शत्रु बु़द्धि विनाशाय, दीप: ज्योति नमोस्तुते।।  


उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम विश्व शांति, राष्ट्र कल्याण, कारसेवकों की आत्मा की शांति के साथ-साथ यमुना प्रदूषण मुक्ति के लिए है। इस कार्यक्रम के संचालन के लिए 16 घाटों के लिए आठ टीमों का गठन किया गया है जिसमें हर टीम में चार कार्यकर्ता रहेंगे।


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