कोलंबस की खोज सिखाती है कि चलना जरूरी है

punjabkesari.in Wednesday, Mar 14, 2018 - 12:25 PM (IST)

स्कूल के दिनों में कोलंबस के हाथ महान गणितज्ञ पाइतागोरस की एक पुस्तक लगी। रेखागणित की उस पुस्तक में लिखा था कि दुनिया गोल है। कोलंबस ने जब यह पढ़ा तो उनके दिमाग में एक विचार आया। उन्होंने सोचा कि अगर दुनिया गोल है तो वे पश्चिम की ओर से समुद्री यात्रा शुरू करके पूर्व की ओर स्थित भारत तक पहुंचने का मार्ग खोज सकते हैं। समय बीतता गया और वह बड़े हो गए। बड़े होकर उन्होंने अपनी योजना जब विद्वानों के सामने रखी तो सभी हंसने लगे। 


उन्होंने कोलंबस से कहा कि पृथ्वी गोल नहीं बल्कि चपटी है और अगर उसने यह मूर्खतापूर्ण कार्य किया तो वह दुनिया के अंतिम सिरे पर पहुंच जाएगा और अनंत खाई में गिर जाएगा। सत्रह साल तक कोलंबस ने जी तोड़ कोशिश की कि कोई उनके अभियान के लिए पैसे दे दे। आखिरकार स्पेन की महारानी ने उन्हें जहाज दे दिए, परन्तु इस खतरनाक अभियान पर उनके साथ जाने के लिए कोई जहाजी तैयार नहीं था। 


अंत में कोलंबस ने जेल में बंद कैदियों के सामने यह प्रस्ताव रखा कि अगर वे उनके साथ चलेंगे तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। सन् 1492 में कोलंबस तीन जहाजों और 88 अनिच्छुक नाविकों के साथ भारत की खोज में चल पड़े। काफी समय के बाद भी जब जमीन नहीं दिखी तो कोलंबस का पूरा दल बगावत पर उतारू हो गया। वे एक असंभव काम को करने की कोशिश में जान नहीं गंवाना चाहते थे। वे वापस लौटना चाहते थे, पर कोलंबस इसके लिए तैयार नहीं थे। अंत में कोलंबस ने अपने साहस और दृढ़ संकल्प की बदौलत अमरीका को खोज लिया। उनके जीवन का रोचक तथ्य यह है कि वह अंत तक यही मानते रहे कि उन्होंने भारत तक पहुंचने का मार्ग खोज लिया है। यही वजह थी कि उन्होंने अमरीका के निवासियों को इंडियंस नाम दिया।


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