एकाग्रचित होकर करें इस स्त्रोत का जाप, दुर्भाग्य का नाश हो सौभाग्य की होगी प्राप्ति

punjabkesari.in Saturday, Apr 08, 2017 - 11:34 AM (IST)

गणपति को सभी देवी-देवताअों में सर्वप्रथम पूजा जाता है। हर शुभ कार्य करने से पूर्व श्री गणेश जी की पूजा का विधान है। श्रीगणेश जी की आराधना से बड़े से बड़े कष्ट मिट जाते हैं। वहीं गणेश स्त्रोत एक ऐसा मंत्र हैं जिसके जाप मात्र से सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं अौर व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। 

सुबह शीघ्र उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत होकर श्रीगणेश की पूजा करें। उसके बाद एकाग्रचित होकर श्रीगणेश का ध्यान करते हुए गणपति स्त्रोत का 7 या 11 बार जाप करें। इस स्त्रोत के जाप से व्यक्ति की सभी परेशानियों का नाश हो जाएगा। इसके साथ ही दुर्भाग्य का नाश हो सौभाग्य की प्राप्ति होती है। व्यक्ति को सुख-समृद्धि व यश भी मिलता है। 

गणपति स्रोत
सरागिलोकदुर्लभं विरागिलोकपूजितं सुरासुरैर्नमस्कृतं जरापमृत्युनाशकम्।
गिरा गुरुं श्रिया हरिं जयन्ति यत्पदार्चकाः नमामि तं गणाधिपं कृपापयः पयोनिधिम् ॥1॥

गिरीन्द्रजामुखाम्बुज प्रमोददान भास्करं रीन्द्रवक्त्रमानताघसङ्घवारणोद्यतम्।
सरीसृपेश बद्धकुक्षिमाश्रयामि सन्ततं शरीरकान्ति निर्जिताब्जबन्धुबालसन्ततिम् ॥2॥

शुकादिमौनिवन्दितं गकारवाच्यमक्षरं प्रकाममिष्टदायिनं सकामनम्रपङ्क्तये।
चकासतं चतुर्भुजैः विकासिपद्मपूजितं प्रकाशितात्मतत्वकं नमाम्यहं गणाधिपम् ॥3॥

नराधिपत्वदायकं स्वरादिलोकनायकं ज्वरादिरोगवारकं निराकृतासुरव्रजम्।
कराम्बुजोल्लसत्सृणिं विकारशून्यमानसैः हृदासदाविभावितं मुदा नमामि विघ्नपम् ॥4॥

श्रमापनोदनक्षमं समाहितान्तरात्मनां सुमादिभिः सदार्चितं क्षमानिधिं गणाधिपम्।
रमाधवादिपूजितं यमान्तकात्मसम्भवं शमादिषड्गुणप्रदं नमामि तं विभूतये ॥5॥

गणाधिपस्य पञ्चकं नृणामभीष्टदायकं प्रणामपूर्वकं जनाः पठन्ति ये मुदायुताः।
भवन्ति ते विदां पुरः प्रगीतवैभवाजवात् चिरायुषोऽधिकः श्रियस्सुसूनवो न संशयः॥6॥


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