कल इन मंत्रों का करें उच्चारण, महाकाली करेंगी शत्रुओं का सफाया

punjabkesari.in Sunday, Dec 10, 2017 - 01:02 PM (IST)

सोमवार दि॰ 11.12.17 को पौष कृष्ण नवमी व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के होने पर संयुक्त रूप से शिव व काली पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा। कृष्ण पक्ष काली व नवमी तिथि शक्ति को समर्पित मानी जाती है। काली दसमहाविद्या में से प्रथम महाविध्या हैं व तंत्र शास्त्र नें सभी दसमहाविद्याओं को शिव की शक्ति को माना है। काली समस्त देवों द्वारा पूजनीय व अनंत सिद्धियों को प्रदान करने वाली है। इन्हें मूल प्रकृति भी कहा जाता है। मूलतः पार्वती ही आदिशक्ति है जो संसार में महाकाल शिव के साथ महाकाली रूप में प्रलय तांडव करती हैं। काल अर्थात समय का ईश्वर महाकालेश्वर अर्थात शिव स्वरुप को माना गया है तथा काल की शक्ति देवी महाकाली को कहा गया हैं। तंत्र शास्त्र में महाकालेश्वर व महाकाली को सर्वोच्च स्थान है। कहा जाता है कि जो महाकाल व महाकाली का भक्त है उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। कालिका पुराण अनुसार महामाया ही महाकाली स्वरूपा है। महाकाली का जन्म मधु-कैटभ के नाश हेतु हुआ था। शिव-काली के विशेष पूजन मनोविकार से मुक्ति मिलती है, शत्रुओं का नाश होता है व रोगों से छुटकारा मिलता है।

विशेष पूजन: शिव व काली का दशोपचार पूजन करें। घी तेल का दीप करें, चंदन की धूप करें, सफेद व काले तिल चढ़ाएं, चंदन चढ़ाएं, नारियल, व मिश्री चढ़ाएं तथा रेवड़ियों का भोग लगाकर 108 बार विशिष्ट मंत्र जपें। इसके बाद रेवड़ियां को प्रसाद के स्वरूप में किसी कुंवारी को दे दें।


पूजन मुहूर्त: प्रातः 11:17 से दिन 12:17 तक।


शिव मंत्र: क्रीं ॐ नमः शिवाय क्रीं॥


काली मंत्र: क्रीं कपालिन्यै नमः॥
 

उपाय
रोग मुक्ति हेतु सरसों के तेल में छाया देखकर शिव-काली के समक्ष दीप करें।


मनोविकार से मुक्ति के लिए काले तिल मिला दूध शिवलिंग पर चढ़ाएं।


शत्रुओं के नाश हेतु 6 कालीमिर्च के दाने काली के समक्ष कर्पूर से जलाएं।
 

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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