विधि-विधान से करें मां दुर्गा के इन मंत्रों का जाप, नष्ट होंगे समस्त पाप

punjabkesari.in Wednesday, Mar 14, 2018 - 11:35 AM (IST)

धार्मिक शास्त्रों में किए वर्णन के अनुसार नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अति उत्तम होता है। इसके चलते माता रानी का हर भक्त नवरात्रों में मां का गुणगान व पाठ अवश्य करता है, लेकिन कई लोग अज्ञानता के कारण सही विधियों का ध्यान नहीं रख पाते और पूर्ण फल से वंचित रह जाते हैं। तो आईए आज हम आपको देवी दुर्गा के सप्तशती मंत्रों के बारे में बताएं, जिनका उच्चारण करने से संपूर्ण सप्तशती के पाठ का फल प्राप्त किया जा सकता है। दुर्गा सप्तशती में हर समस्या के लिए एक विशेष मंत्र बताया गया है। ये मंत्र बहुत ही चमत्कारी हैं, यदि विधि-विधान से इनका उच्चारण किया जाए तो असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। ये मंत्र बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं। परंतु अगर व्यक्ति ठीक से इनका उच्चारण करने योग्य न हो तो, किसी योग्य ब्राह्मण से इन मंत्रों का जाप करवाए, अन्यथा इसके दुष्परिणाम भी होने की संभावना अधिक होती है। 

 

जानिए मंत्र एवं जाप की विधि

जाप विधि
प्रातः काल उठकर शुद्ध वस्त्र धारण करके सबसे पूर्व माता दुर्गा की पूजा करें। इसके बाद अकेले में कुशा के आसन पर बैठकर लाल चंदन के मोतियों की माला से इन मंत्रों का जाप करें।


इन मंत्रों की प्रतिदिन 5 माला जाप करने से मन को शांति तथा प्रसन्नता मिलती है। यदि जाप का समय, स्थान, आसन तथा माला एक ही हो तो यह मंत्र शीघ्र ही सिद्ध होते हैं। 

सुंदर पत्नी के लिए मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।।

 

गरीबी मिटाने मंत्र
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्रयदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाद्र्रचिता।।

 

रक्षा मंत्र
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।

 

स्वर्ग व मुक्ति मंत्र
सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य हदि संस्थिते।
स्वर्गापर्वदे देवि नारायणि नमोस्तु ते।।

 

मोक्ष प्राप्ति मंत्र
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या
विश्वस्य बीजं परमासि माया।
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्
त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतु:।।

 

सपने में सिद्धि-असिद्धि जानने का मंत्र
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

 

सभी के कल्याण मंत्र
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या
निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां
भकत्या नता: स्म विदधातु शुभानि सा न: ।।


भय नाश मंत्र
यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तो
ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु।।


रोग नाश मंत्र
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।

 

बाधा शांति मंत्र
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनासनम्।।

 

विपत्ति नाश मंत्र
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं
त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।
 


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