चाणक्य नीति: खुद में पैदा करें ये गुण, साथ-साथ चलेगा भाग्य

punjabkesari.in Friday, Jun 16, 2017 - 11:24 AM (IST)

आचार्य चाणक्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना व चन्द्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। पाटलिपुत्र से संबंध होने के कारण उसे इन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया। आचार्य चाणक्य एक बड़े दूरदर्शी विद्वान थे। चाणक्य जैसे बुद्धिमान, रणनीतिज्ञ, चरित्रवान व राष्ट्रहित के प्रति समर्पित भाव वाले व्यक्ति भारत के इतिहास में ढूंढने से भी बहुत कम मिलते हैं। इनकी नीतियों में उत्तम जीवन का निर्वाह करने के बहुत से रहस्य समाहित हैं, जो आज भी उतने ही कारगर सिद्ध होते हैं। जितने कल थे। इन नीतियों को अपने जीवन में अपनाने से बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है। चाणक्य के अनुसार भाग्य पुरुषार्थी के पीछे चलता है।

पुरुषकारमनुवर्तते दैवम्।

भावार्थ:जो राजा भाग्य का भरोसा न करके कर्म की साधना में अपने आपको लगा देता है, ऐसे राजा के पीछे उसका भाग्य साथ-साथ चलता है।

तात्पर्य यही है कि कर्मठ व्यक्ति कभी भाग्य के भरोसे नहीं रहते, उन्हें जो करना होता है उसे करके ही छोड़ते हैं।


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