चाणक्य नीति: जैसा राजा, वैसी प्रजा

punjabkesari.in Sunday, Mar 11, 2018 - 02:23 PM (IST)

आपने चाणक्य नीति के बारे में जरूर सुना होगा और बचपन में इतिहास की पढ़ाई में चाणक्य के बारे में पढ़ाया भी गया होगा। माना जाता है राजनीति में चाणक्य से बड़ा विद्वान शायद ही भारत के इतिहास में कोई दूसरा रहा हो। इतिहास के अनुसार एक साधारण ब्राह्मण चाणक्य ने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का बदला लेने के लिए एक स्थापित राजवंश को उखाड़ फेंका था और एक नए साम्राज्य की स्थापना की थी जिसे गुप्त साम्राज्य के नाम से जाना गया। आज हम आपको चाणक्य की एेसी ही नीति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें उन्होंने राजा के बारे में बात बताई है।


श्लोक-
‘यथा राजा तथा प्रजा’स्वामिन: 
शील ज्ञात्वा कायीथी कार्य साधयति।


जो राजकर्मचारी अपने स्वामी के स्वभाव को अच्छी प्रकार से जानते हैं वे उसी के अनुसार कार्य सम्पन्न करते हैं। ‘यथा राजा तथा प्रजा’ अर्थात जैसा राजा होगा, प्रजा या राजकर्मचारी भी वैसे ही होंगे। अत: राजा को धीर-धीर गंभीर, कर्मठ होना चाहिए। वीर होना चाहिए। परोपकारी और दयावान होना चाहिए।


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