चैत्र नवरात्रि की पांचवीं देवी स्कंदमाता के हाथ में विराजित हैं भगवान, पाएं आशीर्वाद

punjabkesari.in Wednesday, Mar 21, 2018 - 01:17 PM (IST)

गुरुवार दि॰ 22.03.18 को चैत्र शुक्ल पंचमी पर दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता का पूजन किया जाएगा। स्कंदमाता का अर्थ है स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकेय की माता। देवी स्कंदमाता बुद्ध ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। स्कंदमाता मनुष्य से माता-पिता की भूमिका को संबोधित करती है। शास्त्रानुसार देवी अपनी ऊपर वाली दाईं भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाए हैं। नीचे वाली दाईं भुजा में कमल पुष्प लिए हुए हैं। ऊपर वाली बाईं भुजा से इन्होंने जगत तारण वरदमुद्रा बना रखी है व नीचे वाली बाईं भुजा में कमल पुष्प है। देवी स्कंदमाता का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है अर्थात मिश्रित है। यह कमल पर विराजमान हैं, इसी कारण इन्हें “पद्मासना विद्यावाहिनी दुर्गा” भी कहते हैं। शास्त्रनुसार इनकी सवारी सिंह है। देवी स्कंदमाता की साधना का संबंध बुद्ध ग्रह से है। कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार कुण्डली में बुद्ध ग्रह का संबंध तीसरे व छठे घर से होता है अतः देवी स्कंदमाता की साधना का संबंध व्यक्ति की सेहत, बुद्धिमत्ता, चेतना, तंत्रिका-तंत्र व रोगमुक्ति से है। 


वास्तुशास्त्र के अनुसार देवी स्कंदमाता की दिशा उत्तर है। दुर्गा सप्तशती में इन्हें “चेतान्सी” कहा है। स्कंदमाता विद्वानों व सेवकों की जननी है। स्कंदमाता की पूजा का श्रेष्ठ समय है दिन का दूसरा प्रहर। इन्हें चंपा के फूल, कांच की हरी चूडियां व मूंग से बने मिष्ठान प्रिय है। देवी स्कंदमाता की साधना उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है, जिनकी आजीविका का संबंध मैनेजमेंट, वाणिज्य, बैंकिंग अथवा व्यापार से है। इनकी उपासना से पारिवारिक शांति आती है, रोगों से मुक्ति मिलती है तथा समस्त व्याधियों का अंत होता है।


विशेष पूजन: घर के ईशान कोण में हरे वस्त्र पर देवी स्कंदमाता का चित्र स्थापित करके उनका विधिवत दशोपचार पूजन करें। कांसे के दिए में गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, अशोक के पत्ते चढ़ाएं, गौलोचन से तिलक करें, मूंग के हलवे का भोग लगाएं। इस विशेष मंत्र को 108 बार जपें। इसके बाद भोग किसी गरीब को बांट दें। 


विशेष मंत्र: ॐ स्कंदमाता देव्यै नमः॥
विशेष मुहूर्त: प्रातः 08:00 से प्रातः 09:00 तक।


उपाय
रोगों से मुक्ति हेतु 6 हरे गोल फल स्वयं से वारकर देवी स्कंदमाता पर चढ़ाएं।


पारिवारिक अशांति से मुक्ति हेतु स्कंदमाता पर चढ़ी मिश्री किसी कन्या को भेंट करें।


सर्व व्याधियों के अंत हेतु देवी स्कंदमाता पर चढ़ी पालक किसी गाय को खिलाएं।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 


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Aacharya Kamal Nandlal

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