आमलकी एकादशी: इस विधि से करें आंवले की पूजा, सभी कामनाएं होंगी पूरी

punjabkesari.in Friday, Feb 23, 2018 - 02:46 PM (IST)

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी आमलकी एकादशी के नाम से प्रसिद्घ है तथा इस बार यह व्रत 26 फरवरी को होगा। इस व्रत के प्रभाव से जीव के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा संसार के सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में प्रभु के परमधाम को प्राप्त करता है। जिस कामना से कोई यह व्रत करता है उसकी वह कामना अवश्य पूरी होती है।


कैसे करें व्रत?
आमलकी एकादशी के व्रत करने से पूर्व मनुष्य को शुद्घ भाव से व्रत करने का संकल्प करना चाहिए तथा प्रात: सूर्य निकलने से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान विष्णु जी का सच्चे मन से धूप, दीप, नैवेद्य, फल और फूलों से पूजन करना चाहिए। आंवले की टहनी को कलश में स्थापित करके उसका पूजन करना अति उत्तम है तथा सारा दिन अपना समय प्रभु नाम संकीर्तन एवं सत्संग में बिताना चाहिए। इस दिन फलाहार करना चाहिए तथा अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। आंवले के वृक्ष में प्रभु का वास होता है इसलिए आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु जी की पूजा एवं स्तुति करनी चाहिए। इस दिन आंवले खाने तथा आंवले का दान करना अति पुण्यकारी है। भगवान विष्णु जी के नाम का सिमरण करते हुए आंवले के पेड़ की 108 अथवा 28 बार परिक्रमा करना अति उत्तम कर्म है। जिस संकल्प से कोई आंवले की परिक्रमा करता है वह अति शीघ्र पूरी हो जाती है।


क्या करें दान?
वैसे तो किसी भी व्रत के पश्चात दान करना श्रेष्ठ होता है, परंतु आमलकी एकादशी व्रत में अन्न, कलश, वस्त्र, जूते आदि का दान करना भी लाभकारी होता है। यह व्रत क्योंकि सोमवार को है, इसलिए सफेद वस्तुओं का दान करना उत्तम कर्म है।


कैसे करें संकल्प?
व्रत करने से एक दिन पूर्व भगवान से प्रार्थना करें और पानी से भरा बर्तन लेकर सामने रखें तथा हाथ में जल लेकर भगवान से प्रार्थना करें कि ‘हे ईश्वर मैं एकादशी का व्रत करूंगा, आप मुझे व्रत करने की शक्ति प्रदान करें’ ऐसा कहकर हाथ में लिया जल छोड़ दें और सच्चे शुद्घ भाव से दोनों हाथ जोडक़र भगवान को नमन करें तथा प्रभु नाम का सिमरण करें। पानी से भरा पात्र भी उठा कर रख लें, अगले दिन व्रत करें तथा व्रत का पारण करने से पूर्व उस जल को तुलसी में डाल दें अथवा उस जल का सूर्य को अर्घ्य दे कर व्रत पूरा करें।


क्या है पुण्य फल?
भगवान को एकादशी तिथि परम प्रिय है तथा एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को एक हजार गाय दान के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है तथा जिस कामना से कोई भक्त एकादशी का व्रत करता है उसकी सभी कामनाएं सहज ही पूरी हो जाती हैं।


क्या कहते हैं विद्वान?
अमित चड्डा के अनुसार एकादशी व्रत में अन्न का प्रयोग करना निषेध होता है, परंतु व्रत न करने वालों के लिए भी चावलों का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। रात्रि को दीप दान करने और प्रभु के नाम का संकीर्तन करने का सर्वाधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। उनके अनुसार व्रत का पारण 27 फरवरी को प्रात: 9.56 से पहले किया जाना चाहिए। 


वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com


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