आचार्य चाणक्य कहते हैं, जिसका काम उसी को साजे

punjabkesari.in Tuesday, Oct 31, 2017 - 11:19 AM (IST)

आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्वविख्‍यात हुए। इतनी सदियां गुजरने के बाद आज भी यदि चाणक्य के द्वारा बताए गए सिद्धांत ‍और नीतियां प्रासंगिक हैं तो मात्र इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने गहन अध्‍ययन, चिंतन और जीवानानुभवों से अर्जित अमूल्य ज्ञान को पूरी तरह नि:स्वार्थ होकर मानवीय कल्याण के उद्देश्य से अभिव्यक्त किया है। "चाणक्य नीति" आचार्य चाणक्य की नीतियों का अद्भुत संग्रह है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना वह हजारों साल पहले था, जब इसे लिखा गया था।


चाणक्य नीति द्वारा मित्र-भेद से लेकर दुश्मन तक की पहचान, पति-परायण तथा चरित्र हीन स्त्रियों में विभेद, राजा का कर्तव्य और जनता के अधिकारों तथा वर्ण व्यवस्था का उचित निदान हो जाता है। महापंडित आचार्य चाणक्य की 'चाणक्य नीति'  की नीतियों को अपनाने से जीवन की कई समस्याओं से बचा जा सकता है।


यो यस्मिन् कर्मणि कुशलस्तं तस्मिन्नेव योजयेत्।

भावार्थ: जो जिस कार्य में कुशल हो, उसे उसी कार्य में लगना चाहिए। यह अनुभव की स्थिति होती है कि जिसे जिस कार्य का अनुभव है वह उसी में लगे तभी कार्य अच्छा हो पाता है। अकुशल अथवा अनुभवहीन व्यक्ति को कार्य सौंपने पर कार्य ठीक नहीं हो पाता।


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