यहां सच्चे दिल से मन्नत मांगने वालों की हर इच्छा होती है पूरी
punjabkesari.in Thursday, Nov 16, 2017 - 04:53 PM (IST)
अन्नपूर्णा, इंदौर में स्थित एक भव्य मंदिर है। यह मंदिर कई कारणों से प्रसिद्ध है। यह इंदौर का सबसे पुराना मंदिर है। यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। लोग मान्यता अनुसार यहां मांगने वालो की हर मुराद पूरी होती है। शहर के पश्चिम क्षेत्र में बना ये मंदिर सच्चे दिल से दुआ करने वालों की झोली कभी खाली नहीं रहती। इस मंदिर को 9 वीं शताब्दी में भारत और आर्य व द्रविड़ स्थापत्य शैली के मिश्रण से बनवाया गया था। इस मंदिर की ऊंचाई 100 फुट से भी अधिक है।
यह मंदिर, हिंदूओं की देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है जिन्हें भोजन की देवी माना जाता है। मंदिर की अद्भुत स्थापत्य शैली, विश्व प्रसिद्ध मदुरै के मीनाक्षी मंदिर से प्रेरित लगती है। मंदिर का द्वार काफी भव्य है। चार बड़े हाथियों की मूर्ति द्वार पर सुसज्जित हैं। मंदिर परिसर के अंदर, अन्नपूर्णा, शिव, हनुमान और काल भैरव भगवानों के अलग-अलग मंदिर है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर रंगीन पौराणिक छवियां बनी हुई है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण कमल में बैठे भगवान काशी की साढ़े चौदह फुट ऊंची मूर्ति है।
आर्य व द्रविड़ स्थापत्य शैली का मिश्रण
आर्य व द्रविड़ स्थापत्य शैली के मिश्रण से से बना मंदिर श्रद्धालुओं का आस्था का प्रतीक माना जाता है। प्रभानंद स्वामी 57 वर्ष पूर्व जयपुर से 3 फुत ऊंची मार्बल से बनी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा को लेकर आए थे, जिसकी स्थापना 21 फरवरी 1959 को 2 एकड़ में फैले इस मंदिर में की गई थी।
अधिक जमीन की जररूत पर बना अन्नपूर्णा न्यास
मंदिर स्थापना के बाद इसकी गणता पूरे इंदौर के प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र के रूप में होने लगी। भक्तों की बढ़ती भीड़ के चलते यहां और जमीन की जररूत थी। इसलिए मां अन्नपूर्णा के नाम से ट्रस्ट बनवाया गया। जमीन व मंदिर संबंधी अन्य काम इस ट्रस्ट द्वारा ही संचालित किए जाते हैं।
गरीव बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाता है न्यास
बच्चों को धार्मिक सिक्षा देने के लिए ट्रस्ट अन्नपूर्णा विद्यालय, अन्नपूर्णा वेद वेदांग विद्यालय चलाया जाता है। साथ ही आसपास के गरीब बच्चों का 12वीं तक की शिक्षा का शर्च भी मंदिर द्वारा उठाया जाता है।
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