Exams को बनाएं टैंशन फ्री

punjabkesari.in Thursday, Mar 08, 2018 - 01:05 PM (IST)

जनवरी-फरवरी का महीना शुरू हुआ नहीं कि परीक्षाओं का भूत न केवल बच्चों पर अपितु उनके माता-पिता पर भी सवार हो जाता है। कुछ अजब-सा तनाव शुरू हो जाता है और मार्च शुरू होने से पहले ही घोर तनाव से घिर जाते हैं हमारे प्यारे बच्चे! कुछ पास होने के लिए कुछ अपनी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए तो कुछ माता-पिता व अध्यापकों की उम्मीदों को पूर्ण करने के लिए, कुछ डर से तो कुछ आत्मविश्वास की कमी के कारण-लगभग सभी को तनाव हो जाता है। बच्चों के इस तनाव को कम करने की कुंजी केवल और केवल उनके माता-पिता के हाथों में है। 


हम प्राय: अपने बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना करके उन्हें उनके समान बनने या उनके जितने नम्बर लाने के लिए अत्याधिक दबाव बना देते हैं, जिस कारण बच्चे अनचाहे तनाव में आ जाते हैं। अभिभावकों को यह समझना आवश्यक है कि सभी बच्चे एक समान नहीं होते, सभी की योग्यता व बुद्धि का स्तर एक जैसा नहीं होता, सभी बच्चों की पढ़ाई में रुचि एक समान नहीं होती, सभी की प्रेरणा व प्रेरक तत्व भी एक समान नहीं होते और सभी के व्यक्तित्व के गुण-दोष भी एक समान नहीं हो सकते। यदि कुछ भी एक समान नहीं होता तो फिर हम एक जैसी अपेक्षा कैसे रख सकते हैं?


तनाव या चिंता का एक आदर्श स्तर होता है। इससे कम और अधिक चिंता होना दोनों ही बच्चे के लिए हानिकारक है परंतु हमें समझना होगा कि सभी बच्चों की चिंता का स्तर एक समान नहीं होता। कुछ बच्चों के तनाव, चिंता का स्तर उस स्तर से निम्र, तो कुछ का स्तर उससे ऊपर होता है। इसलिए सभी अभिभावकों को अपने बच्चों के तनाव अथवा चिंता का स्तर पता होना आवश्यक है।


ध्यान रहे कि जिन बच्चों की चिंता का स्तर पहले से ही ज्यादा है, उन पर और अधिक दबाव बनाना खराब ही नहीं अत्यंत खतरनाक हो सकता है। अत: ऐसे बच्चों पर किसी भी किस्म का दबाव या तनाव बनाने से बिल्कुल परहेज रखना होगा। इसके विपरीत उनके तनाव को कम करने के उपाय करने चाहिए ताकि अधिक तनाव के कारण वे परीक्षा में घबरा कर सब कुछ भूल न जाएं।


जिन बच्चों की चिंता का स्तर आदर्श स्तर से कम है, उन पर दबाव जरूर बनाना चाहिए, किन्तु एक अच्छे परामर्शदाता की निगरानी में ही। चूंकि परीक्षाएं अत्यंत निकट हैं आपको यदि लगता है कि आपके बच्चे की चिंता का स्तर पहले ही अधिक है तो निम्र उपाय करें : 
किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता से उसकी चिंता के स्तर की जांच कराएं।


यदि सचमुच चिंता अधिक है तो उसके साथ अत्यंत प्रेम व सहानुभूति के साथ पेश आएं।


ऐसी स्थिति में उन पर अपनी अपेक्षाओं का बोझ व दबाव कतई न डालें।


ध्यान रहे कि कई बच्चों के व्यक्तित्व की विशेषता होती है कि एक साथ या अधिक देर तक नहीं पढ़ सकते। अत: ऐसे बच्चों को कुछ अंतराल के साथ ही पढऩे के लिए प्रेरित करें।


एक टॉपिक खत्म करने पर कुछ अंतराल अवश्य दें ताकि वे एक-दूसरे टापिक को दोहराते हुए तनाव में न आ जाएं।


बच्चों के खान-पान का विशेष ध्यान रखें , उन्हें ठूंस-ठूंस कर न खिलाएं। हो सके तो उन्हें ताजे फलों का जूस और मस्तिष्क को तरोताजा रखने वाली चीजें खिलाएं जैसे बादाम, अखरोट आदि।


उनके अत्यधिक दबाव को कम करने के लिए उन्हें इस बात का आश्वासन दिलाना जरूरी है कि आपको उनके कम अंक आने से कोई परेशानी नहीं है और न ही आप उनसे नाराज होंगे।


बच्चों के सामने कभी किसी से यह दर्द सांझा न करें कि आप उसके कम नंबरों की वजह से परेशान हैं।


बहुत से बच्चे जिनकी उपलब्धि का स्तर अपने आप ही अत्यंत उच्च होता है उन्हें अपने स्वयं के तनाव से मुक्त करना भी आवश्यक है। उन्हें समझाएं कि कुछ प्रतिशत नम्बर कम भी आ गए तो कुछ बिगड़ने वाला नहीं।


यदि उसे आपकी किसी भी किस्म की सहायता की आवश्यकता है तो उसे डांटने या शर्मिंदा करने की बजाए प्यार से सहायता करें क्योंकि उसे आपके स्नेह व हौसले की अत्यधिक आवश्यकता है।


यदि फिर भी काम न चले तो परामर्शदाता से पुन: परामर्श लेना न भूलें।


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