सफाई कर्मियों से निगम कर रहा सौतेला व्यवहार

punjabkesari.in Wednesday, Nov 01, 2017 - 10:27 AM (IST)

चंडीगढ़ (राय) : शहर के दक्षिण भाग की सफाई के लिए रखी गई लायंस कंपनी व उसके सफाई कर्मचारियों पर निगम के अधिकारी व भाजपा पार्षद पूरी तरह मेहरबान हैं पर अपने नियमित सफाई कर्मियों व ठेके पर रखे सफाई कर्मियों से सौतेला व्यवहार कर रहे हैं।  शहर के दक्षिण हिस्से की सफाई की जिम्मेदारी लायन्स सर्विस कंपनी की ट्राली वनक्षेत्र में कचरा फैंकते दिखी तो उसे सिर्फ जुर्माना कर छोड़ दिया पर जब निगम के सफाई कर्मियों ने मांगे मनवाने के लिए स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय के बाहर कचरा फैंका तो उनके खिलाफ पुलिस रिपोर्ट दर्ज करवा दी। इतना ही नहीं पिछले कुछ वर्षों से डड्डूमाजरा स्थित गारबेज प्रोसैसिंग प्लांट के प्रबंधक कचरे का निष्पादन करने की बजाय उसे डम्पिंग ग्राऊंड में फैंक रहे हैं पर उन्हे पहली बार नोटिस दिया गया। 

 

कुछ ही घंटे की हड़ताल पर 13 कर्मचारियों को निकाल दिया था: 
गत माह  नगर निगम ने कुछ ही घंटे की हड़ताल में भाग लेने वाले ठेके पर रखे 13 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था और इनमें से 3 के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई, जिनकी गिरफ्तारी भी की थी। इसके अलावा महापौर ने 25 नियमित कर्मचारियों को बर्खास्त करने की सूची भी निगम के अतिरिक्त आयुक्त को भेजी थी पर इसपर कारवाई न हो सकी। 

 

सूची में सफाई कर्मियों की यूनियन के अधिकांश नेता शामिल थे। हड़ताल वापस लेने के बाद भी निगम ने चार सफाई कर्मियों को बर्खास्त कर दिया जिनका मामला पिछले कल निगम सदन की बैठक में भी उठा। इसके उलट वहीं लायंस कंपनी की ट्राली दक्षिण सैक्टरों में आने वाले वन क्षेत्रों, सैक्टर-46, 48 और 49, में भी गंदगी डालते देखी गई। इसलिए वन विभाग की इन पर नजरें थी, जबकि इस कंपनी पर नजर रखने के लिए निगम के 9 सैनिटरी इंस्पैक्टर व सब इंस्पैक्टर तैनात हैं। गत एक वर्ष से कंपनी दक्षिण भाग की सफाई कर रही है पर किसी की नजर में नहीं आया कि कचरा कहां फैंका जा रहा है।

 

निगम कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर ही खड़े किए सवाल
निगम सदन में पार्षदों ने कंपनी के विरुद्ध तो बोला पर अपने कर्मचारियों पर खामोश रहे। मनोनीत पार्षद अजय दत्ता ने ही केवल निगम कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए।  महापौर ने पिछले दिनों सफाई कर्मियों पर कड़ी कारवाई करने के नाम पर स्पष्ट कहा कि काम नहीं तो नौकरी नहीं। यह नियम निजी कंपनियों पर लागू नहीं होते। लायंस कंपनी व डड्डूमाजरा में स्थित दारबहेज प्रोसैसिंग प्लांट लगाने वाले जे.पी. एएसोसिएट्स के खिलाफ यह नियम लागू नहीं किए गए। एक कंपनी शहर के वनक्षेत्रों में कचरा फैंक रही है व दूसरी कंपनी नैशनल ग्रीन ट्रिब्युनल के आदेशों के बावजूद शहर के पूरे कचरे का निष्पादन नहीं कर रही। दोनों को ही निगम करोड़ों रुपए अदा कर रहा है। 

 

कर्मियों की भर्ती न होने का ठीकरा यूनियन पर फोड़ा 
मेयर ने तो सफाई कर्मियों के नियमित पदों पर भर्ती न होने का ठीकरा भी सफाई कर्मचारी यूनियन के नेताओं पर फोड़ दिया। पत्रकार सम्मेलन में नई भर्ती न होने संबंधी उनका कहना था कि निगम ने तो सारी प्रक्रिया पूरी कर ली है पर इनके नेता बार-बार हड़ताल की धमकियां देते हैं जिससे नई भर्ती रूकती जा रही है। सफाई कर्मचारी यूनियन के नेताओं ने बताया कि निगम के अधिकारियों ने गत वर्ष जिस कंपनी से सफाई कर्मियों की सेवाएं ली थी उसने यह ठेका 3.25 करोड़ में लिया था। निगम को उसने वर्षभर 1400 कर्मियों की सेवाएं दी। उन्होंने बताया कि इस बार निगम ने इस काम का ठेका 4.35 करोड़ में दिया है। जिस ठेकेदार को इसका ठेका दिया है वह केवल 670 सफाई कर्मियों की सेवाएं निगम को दे रहा है। 


 


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