ईको सैंसटिव जोन के दायरे में फंसा सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट

punjabkesari.in Thursday, Sep 21, 2017 - 08:49 AM (IST)

चंडीगढ़(विजय) : भविष्य में सुखना का वाटर लेवल कम न हो इसके लिए चंडीगढ़ प्रशासन ने सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट का एक प्रोजैक्ट तैयार किया है लेकिन ईको सैंसटिव जोन के चक्कर में यह अब आगे खिसक सकता है। प्रशासन के इंजीनियरिंग विभाग और फॉरैस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमैंट ने किशनगढ़ के पास सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट लगाने का प्रोपोजल तैयार किया था लेकिन 7 सितम्बर को हुई मीटिंग के बाद आर्कीटैक्ट डिपार्टमैंट ने प्लांट की लोकेशन को लेकर सवाल उठाए हैं। 

 

आर्कीटैक्ट डिपार्टमैंट ने फॉरैस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमैंट को लैटर लिखकर पूछा है कि किशनगढ़ के पास सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट की वजह से क्या ईको सैंसटिव जोन प्रभावित नहीं होगा? दरअसल प्रशासन कैंबवाला से आने वाले सीवरेज के पानी को ट्रीट करके उसे सुखना लेक में डालना चाहता है। इसके लिए किशनगढ़ के पास कोई जगह चिन्हित की जानी है। इस बारे में दोनों विभागों के अधिकारी भी किशनगढ़ में विजिट कर चुके हैं लेकिन यह एरिया सुखना लेक के काफी पास है और यह ईको सैंसटिव जोन के दायरे में आता है। 

 

आई.आई.टी. मुंबई के प्रोफैसर ने दी थी प्रैजैंटेशन :
कुछ दिन पहले आई.आई.टी. मुम्बई के प्रोफैसर शंकर ने इस प्रोजैक्ट की प्रैजैंटेशन प्रशासनिक अधिकारियों को दी। यू.टी. सैक्रेटरिएट में हुई इस मीटिंग के दौरान प्रो. शंकर ने बताया कि किस तरह से सीवरेज के पानी को ट्रीट करके सुखना लेक में डालकर सूखने से हर साल बचाया जा सकता है। प्रो. शंकर ने बताया कि देश में काफी जगहों पर उनके प्लांट चल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि प्लांट ऐसे काम करेगा जिससे कि सुखना में 3 बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बी.ओ.डी.) से कम वाला पानी डाला जा सकता है। 

 

पंजाब के पानी की जरूरत नहीं पड़ेगी :
अगर चंडीगढ़ प्रशासन का यह प्रोजैक्ट कामयाब रहा तो इस साल नवम्बर से जो पंजाब से अतिरिक्त 2 एम.जी.डी. पानी की डिमांड की गई है, उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। इस पीने के पानी को प्रशासन द्वारा नवम्बर से मार्च तक सुखना लेक में डालने की प्लाङ्क्षनग चल रही है लेकिन सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट का प्रोजैक्ट कामयाब रहा तो फिर पीने के पानी को लेक में डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

 

आइलैंड पर लहराएगा तिरंगा :
सुखना लेक के आईलैंड पर अब तिरंगा लगाया जा सकता है। फॉरैस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमैंट ने अपनी रिपोर्ट प्रशासन के सबमिट करवा दी है। इसमें तिरंगा लगाने पर किसी भी प्रकार की ऑब्जैक्शन नहीं लगाई गई है। हालांकि डिपार्टमैंट की ओर से यह कहा गया है कि आईलैंड में किसी भी प्रकार की लाइटिंग का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। 

 

दरअसल सुखना लेक के इस आईलैंड के आसपास माइग्रेटरी बर्ड्स आते हैं जिसके चलते यहां तिरंगा लगाने पर किसी तरह से कोई परेशानी हुई तो माइग्रेटरी बर्ड्स की संख्या पर प्रभाव पड़ सकता है। यही नहीं, यह एरिया ईको सैंसटिव जोन के दायरे में भी आता है। इसके बारे में प्रशासन ने डिपार्टमैंट से सुझाव मांगा था। 

 

अब जो रिपोर्ट प्रशासन को भेजी गई है, उसमें कहा गया है कि बर्ड्स के लिए तो इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है, क्योंकि इनके लिए लाइट्स अगर यहां लगाई गई तो प्रॉब्लम हो सकती है दूसरा ईको सैंसटिव जोन में भी ऐसी कोई खास वजह इसको लेकर नहीं हैं। गौरतलब है कि इस बारे में सांसद किरण खेर ने प्रशासन को कहा था कि इस आईलैंड में तिरंगा झंडा लगा सकते हैं। 


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