साइंटिस्ट स्टूडैंट बिना निवेश अविष्कारों को कर सकेंगे मार्कीट में पेश

punjabkesari.in Saturday, Jul 15, 2017 - 01:40 PM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि) : साइंटिस्ट स्टूडैंट्स बिना निवेश किए अपने नए अविष्कारों को तैयार कर आम लोगों तक पहुंचा सकते है। इसके लिए गवर्नमैंट ऑफ इंडिया के तहत बॅायोटैक्रोलाजी इंडस्ट्री रिसर्च अस्सिटैंट काऊंसिल (बॉयरेक) की ओर से 3.5 करोड़ रुपए पंजाब यूनिवर्सिटी को सैंक्शन किए गए हैं। इन पैसों से पी.यू. बॉयो- इक्यूबेटर्स न्यूट्रीशिंग एंटरप्रिनोयोरशिप फॉर स्केलिंग टैक्रोलॉजी (बॉयोनैस्ट) स्थापित किया जाएगा। 

 

सी.आई.सी.-बी के चीफ को-आर्डीनेटर व डिर्पाटमैंट ऑफ बॉयोक्रोलॉजी के चेयरपर्सन डा. रोहित शर्मा ने बताया कि बॉयरेक भारत सरकार का महत्वपूर्ण प्रोजैक्ट है। यह भारत के उत्तर क्षेत्र का पहला एंटरप्रिनयोर होगा जिसमें स्टूडैंट अपने अविष्कारों को लैब में तैयार कर सकेंगे और इंडस्ट्री से टॉईअप कर अपने नए अविष्कारों को आम लोगों तक पहुंचा सकेंगे। जानकारी के मुताबिक बॉयोनेस्ट बनने के बाद स्टूडैंट्स अपने नए आइडिया को इस लैब में विकसित करके इंडस्ट्री तक पहुंचा सकते हैं।  अगर जरूरत पड़े तो वह अपने प्रोडक्ट को इंडस्ट्री में जाकर भी तैयार कर सकते हैं। डा. रोहित ने बताया कि पी.यू. काकई बड़ी इंडस्ट्री से टॉईअप है। 

 

सबसे बड़ी दिक्कत मार्कीट में प्रोडक्ट पहुंचाने की : 
गौरतलब है कि स्टूडैंट अविष्कार तो कर लेते हैं लेकिन उन्हें सबसे बड़ी दिक्कत मार्कीट में अपने प्रोडक्ट पहुंचाने में आती है, क्योंकि प्रोडक्ट को बड़े स्तर पर तैयार करने के लिए लैब और इक्यूपमैंट की जरूरत होती है, लेकिन स्टूडैंट्स के पास इतने पैसे नहीं होते कि वह अपनी इंडस्ट्री स्थापित कर सकें। ऐसे में उनके नए अविष्कार धरे के धरे रह जाते हैं। 

 

यू.आई.ई.टी. सैक्टर-25 में चल रहे कलस्टर इनोवेशन सैंटर बॉयोटैक्रोलॉजी (सी.आई.सी.-बी) में सैशन 2014 से कई तरह के प्रैक्टिकल स्टूडैंट द्वारा किए जा रहे हैं। जिसका फायदा आम लोग बहुत ही कम कोस्ट पर उठा सकते हैं। 

 

लैब का देना होता रैंट : 
डा. रोहित शर्मा ने बताया कि लैब का प्रयोग करने के लिए स्टूडैंट को 50 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट के हिसाब से रैंट देना होगा। डा. रोहित ने बताया कि स्टूडैंट्स को भी फंड वापस मिल जाएं इसके लिए स्टूडैंट्स को फीस फंड के तौर पर भारत सरकार के पास आवेदन किया जाएगा। डा. रोहित ने कहा कि यह युवा साइंटिस्ट, विचार और एंटरप्रिन्योरशिप के लिए है। पी.यू. रिसर्च ट्रांसलेशन को प्रोमोट कर रहा है। 

 

डा. रोहित शर्मा ने बताया कि इंकूबेटर चार्जिज पी.यू. वैबसाइट पर डाल दिए जाएंगे। बॉयोनेस्ट में लैब, कम्प्लेंट एनालाईटिकल फैकल्टी, बायोइलैक्ट्रोनिक्स लैबोरेट्री, वेट लेब आदि स्थापित की जाएगी। इंकूबेटर के लिए वन टाइम एंट्री और एग्जिट प्लेटफार्म बनाया जाएगा। यह सब प्री-इंकूबेशन और पोस्ट इंकूबेशन के तहत होगा। उन्होंने बताया कि अभी तक प्री-इंकूबेशन के तहत प्रोजैक्ट चल रहे थे। स्टूडैंट अब जो प्रोडक्ट तैयार करेंगे वह इंकूबेशन के तहत होंगे।

 

प्लेटफार्म :
बॉयोनेस्ट स्थापित होने से पी.यू. को स्पोर्ट मिलेगा। उन्होंने कहा कि बायोनेस्ट स्थापित होने से बिल्डिंग टैक्रोलाजी और कैप्सिटी बिल्डिंंग को प्लेटफार्म मिलेगा। पी.यू. ने बायोनेस्ट के लिए 10 हजार स्क्वेयर फीट की जगह दी है। बायोनेस्ट के जरिए पी.यू. बायोफार्मास्सूटिकल, बायोप्रैसेस टेक्रोलाजी, फूड  टैक्रोलाजी औरएग्रीकल्चर के लिए फायदेमंद होगा। वहीं पी.यू. के वी.सी. प्रो. अरुण ग्रोवर ने कहा कि उनका सपना पीयू. को सिर्फ शैक्षणिक यूनिवर्सिटी बनाना ही नहीं है बल्कि इंकूबेटर टैक्रोलाजी के तौर पर स्थापित करना भी है।


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