साध्वी यौन शोषण केस : पंचकूला उपद्रव कांड की जांच तेज, जिम्मेदारों पर शिकंजा कसना शुरू

punjabkesari.in Wednesday, Aug 30, 2017 - 09:59 AM (IST)

पंचकूला(नीरज) : साध्वी यौन शोषण केस में डेरा सच्चा सौदा के मुखी गुरमीत राम रहीम को सी.बी.आई. कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकूला में हुए उपद्रव के जिम्मेदार लोगों तक पहुंचने के लिए पुलिस की जांच तेजी से चल रही है। खुफिया विभाग भी अपने स्तर पर तमाम सूचनाएं जुटाकर जांच को अंजाम तक पहुंचाने में मदद के लिए जुटा है। 

 

सूत्रों का कहना है कि उपद्रव के लिए कोड वर्ड संदेश को उपद्रवियों तक पहुंचाने का काम उपद्रवी ग्रुपों के गृह जिलों पर बैठे डेरा प्रतिनिधियों ने किया। पुलिस 24 व 25 अगस्त की कॉल डिटेल्स पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के जिला मुख्यालयों को भेज रही है। वहां इन तमाम फोन नंबरों की वैरीफिकेशन की जा रही है और यहां गिरफ्तार किए गए लोगों के संपर्कों को उनके गृह क्षेत्र की पुलिस खंगाल रही है। साथ ही उनकी बैकग्राऊंड और आपराधिक रिकार्ड का भी पता लगाने को कहा गया है।

 

कॉल डिटेल्स सबसे अहम :
पंचकूला उपद्रव कांड के जिम्मेदार लोगों तक पहुंचने को पुलिस के लिए कॉल्स डिटेल्स सबसे अहम हैं। हरियाणा सरकार ने 24 अगस्त की शाम से पंचकूला में मोबाइल फोन पर इंटरनैट और एस.एम.एस. सेवाएं बंद कर दी थीं लेकिन वायस कॉल की सुविधा जारी रखी थी। 

 

पंचकूला में जुटे तमाम डेरा प्रेमियों के पास मोबाइल फोन थे और डेरा प्रबंधकों ने उनके फोन चार्ज रखने के लिए बड़े-बड़े चार्जरों का भी इंतजाम किया था, ताकि किसी भी डेरा प्रेमी का संपर्क अपने घरों से न टूटे। इन बड़े-बड़े चार्जरों में एक बार में 20 से 25 फोन चार्ज हो सकते थे। लिहाजा, हर डेरा प्रेमी का फोन 25 अगस्त की शाम तक चालू था। पुलिस अब उपद्रव शुरू होने वाले स्थानों और आसपास का डंप डाटा टैलीकॉम कंपनियों से एकत्रित कर रही है।

 

उपद्रव सिर्फ डेरामुखी को भगाने के लिए :
खुफिया सूत्रों का कहना है कि कोर्ट का फैसला आने के बाद पंचकूला में हुआ उपद्रव कोई गुस्सा या विरोध के लिए नहीं था, बल्कि यहां तो डेरा मुखी गुरमीत सिंह राम रहीम को पंचकूला से भगा ले जाने की साजिश का ही हिस्सा था। 

 

साजिशकर्ता चाहते थे कि पंचकूला में इतना भीषण उपद्रव किया जाए कि तमाम पुलिस फोर्स और प्रशासन का पूरा ध्यान और एनर्जी उपद्रवियों की तरफ लग जाए और डेरा मुखी को पंचकूला के दूसरे रास्तों से भगा ले जाना आसान हो जाए। इन रास्तों की रैकी साजिशकर्ता पहले ही करवा चुके थे। यही कारण था कि कोर्ट के नजदीकी हैफेड चौक पर उपद्रव शुरू होने के बाद सुरक्षा बलों के पीछे हट जाने के बावजूद उपद्रवी कोर्ट की तरफ नहीं बढ़े। वह हैफेड चौक से पीछे और आसपास के सैक्टरों में ही भारी उपद्रव करते रहे। 

 

कॉल्स की डिटेल्स जिला मुख्यालयों में भेजी जा रही :
जैसे-जैसे पुलिस को फोन कॉल्स की डिटेल्स मिल रही हैं, उनके नंबर संबंधित प्रदेश के संबंधित जिला मुख्यालयों को भेजा जा रहा है। वहां की पुलिस टैलीकॉम कंपनियों से इन फोन नंबरों के धारकों का पता लगाकर उनकी वैरीफिकेशन में जुटी है। 24 और 25 अगस्त की यह वो फोन कॉल्स डिटेल्स हैं, जिनके नंबर पंचकूला में उपद्रव वाले स्थानों की टावर लोकेशन में 24 व 25 अगस्त की शाम तक चल रहे थे और इन पर बाहरी फोन नंबरों पर बात हो रही थी। कोर्ट का फैसला आने से पहले की कॉल्स पर पुलिस की विशेष नजर है। 

 

गौरतलब है कि पंचकूला में पंजाब और हरियाणा के बाद सबसे ज्यादा डेरा प्रेमी राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले से भी आए थे। इसके अलावा दिल्ली और उत्तर प्रदेश से भी यहां डेरा प्रेमी पहुंचे थे। पंचकूला में उपद्रव फैलाने के नामजद आरोपियों में श्रीगंगानगर जिले के भी पांच लोग शामिल हैं, जबकि मृतकों में वहां का एक व्यक्ति शामिल है। उपद्रव फैलाने का कोड वर्ड भी श्रीगंगानगर जिले में डी-कोड हुआ है। पुलिस अब उन लोगों तक पहुंचना चाहती है, जिन्होंने उपद्रवियों को उपद्रव करने का कोड वर्ड सर्कुलेट किया था।

 

जिला या ब्लॉक मुख्यालयों से हुआ मैसेज फ्लैश :
खुुफिया सूत्रों को आशंका है कि उपद्रव करने का मैसेज (डेरा प्रेमियों के लिए निर्धारित कोड वर्ड 4250 यानी पैट्रोल बमों से सरकारी कार्यालय और गाडिय़ां जलानी हैं। इस कोड का मतलब यह भी था कि डेरा मुखी गए) जिला मुख्यालयों अथवा ब्लॉक मुख्यालयों पर बैठे डेरा प्रतिनिधियों ने पंचकूला में डेरा प्रेमियों की भीड़ के बीच मौजूद उपद्रवी ग्रुप्स के हैड्स को फ्लैश किया और इन हैड्स का इशारा होते ही पंचकूला में उपद्रव शुरू हो गया। 

 

सूत्रों का कहना है कि चूंकि मोबाइल इंटरनैट बंद था, इसलिए जिला या ब्लॉक मुख्यालयों से कोड संदेश भेजने वाले डेरा प्रतिनिधि न्यूज चैनलों पर नजर लगाए बैठे थे और वॉयस कॉल से ग्रुप हैड्स को यहां मैसेज फ्लैश किया गया। कहा यह भी जा रहा है कि जो उपद्रवी ग्रुप जिस जिले अथवा तहसील-ब्लॉक का था, वहीं के डेरा प्रतिनिधि को कोड मैसेज उनके हैड को उन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी।


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