योग अपनाकर बच सकते हैं नॉन कम्युनिकेबल डिजीज से

punjabkesari.in Tuesday, Nov 07, 2017 - 10:14 AM (IST)

चंडीगढ़ (पाल) : रोजाना के जीवन में योग अपनाकर नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज से बचा जा सकता है। यह कहना है स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे का। पी.जी.आई. में 4 से 6 नवम्बर तक चली वर्ल्ड नॉन-कम्यूनिकेबल डिजीज (एन.सी.डी.) कांग्रेस के अंतिम दिन स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि योग के बेहतर परिणामों को देखते हुए ही इंटरनैशनल लैवल पर लोग इसे अपना रहे हैं। तंबाकू और एल्कोहल को न कहकर और योगा अपनाकर हैल्दी लाइफ जी सकते हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एम.बी.बी.एस. के लिए 69 हजार व एम.डी. के लिए 33 हजार सीट दी हैं ताकि देश को काबिल डाक्टर मिल सकें। इस कांग्रेस में पहुंचे स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि योगा में काफी रिसर्च की जरूरत है। 

 

पंजाब-चंडीगढ़ में डायबिटीज के मरीज ज्यादा
डायबिटीज प्रिवैंशन सर्वे की मानें तो पंजाब और चंडीगढ़ में दूसरे राज्यों के मुकाबले डायबिटीज के मरीज ज्यादा हैं। डा. स्वामीनाथन की मानें तो इन बीमारियों के इलाज में सालों लग जाता हैं, ऐसे में जितनी जल्दी  इनका डायग्रोस होगा, उतनी ही जल्द इलाज आसान हो जाता है। डा. स्वामीनाथन ने बताया कि एन.सी.डी. बीमारियों को लेकर इंडियन काऊंसिल फॉर मैडीकल रिसर्च नैशनल लैवल पर इंटरवेंशन की योजना बना रहा है। 

 

इसी के मद्देनजर अगले वर्ष पंजाब में आयुष प्रोग्राम के तहत नर्स प्रैक्टिशनर्स को मरीजों के फॉलोअप मॉनिटरिंग के लिए ट्रेनिंग प्रोवोइड करवाई जाएगी। इसके साथ ही एन.सी.सी.डी.डी. के इस प्रोग्राम में 130 डिस्ट्रीक में हाइप्रटैंशन व डायबिटीज  मरीजों की जांच करवाने का प्रावधान होगा। डा. स्वामीनाथन की माने तो वह जल्द आयुर्वेद के साथ-साथ वह योगा को जोडऩे पर विचार कर रहे हैं। 

 

पाठ्यक्रम में शामिल हो हैल्दी फूड 
नॉन-कम्यूनिकेबल डिजिज की रोकथाम के लिए डाक्टर्स की मानें तो बच्चे खासकर जंक फूड की तरफ ज्यादा आर्कषित होते हैं, जिन्हें गाइड करने की जरूरत है। स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ के प्रो.जे.एस ठाकुर  ने कहा कि स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के पाठ्यक्रम में हैल्दी फूड व हैल्दी लाइफ स्टाइल शमिल करने की भी जरूरत है। 


 

क्रोनिक डिजीज पर बेहतर रिसर्च की जरूरत 
70 प्रतिशत रूरल एरिया के घरों में होने वाली मौतें डाक्टर्स की ओर से प्रमाणित नहीं होती हैं। इंडियन काऊंसिल फॉर मैडीकल रिसर्च की डायरैक्टर जरनल डा. सोम्या स्वामीनाथन की मानें तो देश भर में बढ़े नॉन-कम्यूनिकेबल डिजीज पर काबू पाने के लिए बेहतर रिसर्च की जरूरत है। उन्होंने बताया कि 60 प्रतिशत होने वाली मौतों की वजह एन.सी.डी. है। इसी के मद्देनजर क्रोनिक डिजीज पर होने वाली रिसर्च को वह प्राथमिकता के तौर पर देख रहे हैं। 


 


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