तय समय में निगम नहीं बांट सका डस्टबिन

punjabkesari.in Friday, Nov 03, 2017 - 10:55 AM (IST)

चंडीगढ़(राय) : डड्डूमाजरा में स्थापित ग्रीन टेक सोलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट द्वारा कचरा न लिए जाने के कारण शहर में स्थापित करीब 35 सहज सफाई केंद्र (एस.एस.के.) भी अब कचरे से भर गए हैं। 

 

इतना ही नहीं, निगम ने दक्षिण क्षेत्र की सफाई का जिस कंपनी को ठेका दिया था, वह भी शहर के वन क्षेत्रों में कचरा फैला रही है। इसके बावजूद भी निगम सदन में पार्षद व अधिकारी गारबेज प्लांट चला रही कंपनी, दक्षिण भाग की सफाई की जिम्मेदार कंपनी व सफाई के जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने की कवायद में लगे रहते हैं। इन दिनों एस.एस.के. केंद्रों के आसपास रहने वाले लोगों ने तो इनसे उठने वाली बदबू की शिकायत भी निगम से करनी शुरू कर दी है। इस समय शहर में 35 के करीब सहज सफाई केंद्र हैं। वहीं वीरवार को नगर निगम की मेयर आशा जसवाल ने प्लांट प्रबंधकों के साथ मामले को लेकर मीटिंग की। 

 

प्लांट प्रबंधकों ने 16 नवम्बर तक का समय मांगा है। प्लांट प्रबंधकों ने कहा कि कम्पोस्ट प्लांट तो लगा लिया है, लेकिन उसे पूर्ण रूप से चालू करने में दो सप्ताह और लगेंगे। इसके अलावा प्लांट के अंदर पड़े कचरे को भी प्रोसैस करने में समय लगेगा, इसलिए वे 16 नवम्बर तक हर रोज निकलने वाला कचरा भी कम ही लेंगे। इसके बाद मेयर ने उन्हें इतने दिनों का समय दे दिया। बैठक में निगम कमिश्नर भी मौजूद थे। 

 

डम्पिंग ग्राऊंड, डड्डूमाजरा के सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट की ही भांति इनमें भी कचरे के ढेर लगे हैं। चंडीगढ़ सफाई कर्मी संघ का कहना है कि शहर में तो गंदगी फैली ही है। सबसे खराब हालत तो निगम का कचरा लेकर गारबेज प्लांट में जाने वाले चालकों की है। प्लांट के बाहर घंटों कचरे के डम्पर लेकर खड़े रहते हैं पर प्लांट के द्वार नहीं खुलते। 

 

उनका कहना था कि वह कल मेयर यहां हालात का जायजा लेने आई थीं व उन्होंने कहा था कि वह प्लांट प्रबंधन से बात करेंगी। आज भी हालात जस के तस ही रहे। प्लांट के बाहर के मार्ग से गुजरने वाले लोग भी बदबू से परेशान हो जाते हैं। निगम के जिस भी संबंधित अधिकारी से पूछा जाए तो जवाब मिलता है कि कुछ दिनों में हालात सामान्य हो जाएंगे।

 

तय समय में निगम नहीं बांट सका डस्टबिन :
नगर निगम ने शहर में गारबेज सैग्रीगेशन के लिए जून से हरे व नीले रंग के डस्टबिन लोगों को बांटने शुरू किए थे, ताकि गीला व सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित किया जा सके। लेकिन अभी भी शहर में लोगों को यह डस्टबिन नहीं मिल पाए हैं... निगम ने यह काम अक्तूबर तक पूरा करना था लेकिन तय समय तक निगम शहर में सभी को यह डस्टबिन नहीं बांट सका। 

 

पता चला है कि निगम की ओर से कई पार्षदों को अपने क्षेत्र में इन्हें बांटने के लिए दिए जा चुके है लेकिन अभी तक इन पार्षदों ने इन्हें बांटा नहीं है। लोगों ने बताया कि निगम की ओर से बड़ी जोर शोर से डस्टबिन बांटने का काम तो शुरू किया था लेकिन कुछ सैक्टरों में डस्टबिन बांटे गए फिर यह काम ठप्प पड़ गया।    

 

पर्यावरण दिवस पर डस्टबिन बांटने शुरू किए थे :
निगम ने गत 5 जून को पर्यावरण दिवस के मौके पर शहर भर में हरे-नीले डस्टबिन बांटने शुरू किए थे। पंजाब के रा४यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर ने इस अभियान की शुरूआत की थी। निगम ने शहर के प्रत्येक घर में यह डस्टबिन देने का दावा किया था, ताकि हरे रंग के डस्टबिन में लोग गीला कचरा व नीले डस्टबिन ने ठोस कचरा डाल सकें। शहर में मौजूदा समय में 2 लाख 34 हजार के करीब घर हैं, लेकिन निगम ने मात्र 15 हजार डस्टबिन ही मंगवाए और उसमें से भी अभी तक आधे डस्टबिन ही लोगों तक पहुंच पाए हैं। इसके अलावा आगे भी निगम ने सिर्फ 35 हजार डस्टबिन ही मंगवाए हैं।

 

महामारी फैलने का डर :
कांग्रेस पार्षद दविंद्र सिंह बबला ने कहा कि पूरा शहर कचरे के ढेर में तबदील हो रहा है। उनका कहना था कि पिछले एक दशक तक कांग्रेस शासित निगम ने इसी गारबेज प्लांट से मुफ्त में काम लिया व भाजपा के आते ही ऐसा क्या हुआ कि गारबेज प्लांट ही बंद होने की कगार पर आ गया। 

 

उनका कहना था कि इस समय जो शहर की हालत है अगर उस पर शीघ्र काबू न पाया गया तो यहां कोई भी महामारी फैल सकती है। बबला ने पिछले दिनों निगम सदन में भी शहर में कचरे का मामला उठाया व कंपनियों व अधिकारियों को बचाने वाले पार्षदों को भी आड़े हाथों लिया।

 

एन.जी.टी. ने दिया था तीन माह का समय :
निगम सूत्रों के अनुसार बार-बार नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान निगम अधिकारियों व निगम के वकीलों की खामोशी ने मामला बिगाड़ दिया व पुन: जे.पी. एसोसिएट्स के पक्ष में फैसला हो गया। ट्रिब्यूनल ने प्लांट प्रबंधन को शहर का पूरा कचरा लेकर उसका निष्पादन करने की व्यवस्था करने के लिए 3 माह का समय दिया था जो कि खत्म हो चुका है पर स्थिति सामान्य नहीं हो पाई। इसके बावजूद भी निगम में सत्तारूढ़ भाजपा व निगम अधिकारी ट्रिब्यूनल, निगम सदन तथा सार्वजनिक रूप से हकीकत स्वीकार क्यों नहीं करते, यह एक यक्ष प्रश्न है। 

 

अक्तूबर तक हर घर में पहुंचाने का दावा किया था नगर निगम ने :
जिस रफ्तार से निगम इस प्रोजैक्ट पर काम कर रहा है, उससे यह प्रतीत होता है कि इस साल के अंत तक भी इस प्रोजैक्ट को पूरा नहीं कर पाएगा। हालांकि निगम का दावा किया था कि अक्तूबर माह तक निगम सभी घरों तक डस्टबिन पहुंचा देगा लेकिन वह समय भी पूरा हो चुका है। नगर निगम के पार्षदों ने भी इस संबंध में माना है कि भी तक आधे डस्टबिन ही लोगों को बांट पाए हैं। उन्होंने कहा कि आधे डस्टबिन बांट दिए गए हैं। 

 

डस्टबिन बांटने के पीछे निगम का मकसद था कि शहर में मौजूद 2 लाख 34 हजार घरों में हरे और नीले डस्टबिन बांटे जाएं। लोग हरे डस्टबिन में गीला कचरा इकठ्ठा करें और नीले डस्टबिन में सूखा कचरा इकठ्ठा करें। इतना ही नहीं, सफाई कर्मी जब कूड़ा इकठ्ठा करने आएंगे तो वह भी इस कूड़े को अलग-अलग एकत्रित करें। 

 

इस कूड़े को बाद में अलग-अलग बिन में डाला जाएगा, ताकि गीले कचरे के निपटान के लिए उसे बॉयोमेथीनेशन प्लांट तक पहुंचाया जा सकें व उससे बिजली पैदा करके उसका इस्तेमाल स्ट्रीट लाइट्स रोशन करने के लिए किया जा सकें। वहीं ठोस कचरे को गारबेज प्रोसैसिंग प्लांट तक पहुंचाया जा सकें। इसके अलावा इस प्रोजैक्ट का फायदा लेने के लिए निगम शहर में क पोस्ट प्लांट भी लगाना चाहता है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News