सैट पर यूनिफार्म पहनते ही बदल जाती थी मेरी बॉडी लैंग्वेज : कविता कौशिक

punjabkesari.in Wednesday, Jul 26, 2017 - 12:28 PM (IST)

चंडीगढ़(नेहा) : एक ही किरदार को आठ साल तक निभाना खुद में बड़ी बात है और वह किरदार अगर चंद्रमुखी चौटाला जैसा हो फिर उसका असर आपके व्यक्तित्व पर न पड़े ऐसा मुमकिन नहीं। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मेरा किरदार मुझे काफी हद तक बदल गया। यह कहना है चंद्रमुखी चौटाला के नाम से मशहूर हुई कविता कौशिक का। अपने नए प्रोजैक्ट की प्रमोशन के लिए वह शहर पहुंची थीं।

 

चंद्रमुखी चौटाला के किरदार से खुद को बाहर निकालना कितना मुश्किल? 
चंद्रमुखी का किरदार मेरे लिए पर्सनली काफी खास है। इस किरदार ने मुझे असल जिंदगी में बदल दिया। मैं पर्सनली खुद को कभी भी इस किरदार के प्रभाव से बाहर निकालना ही नहीं चाहूंगी, लेकिन प्रोफैशन की बात करें तो लगता है कि यह मुश्किल हो सकता है लेकिन नामुमकिन नहीं। 

 

आपका बयान था कि वर्दी खुद में पूरी ताकत है, इसका मतलब? 
मेरा काफी हद तक मानना है कि वर्दी चाहे पुलिस की हो या किसी आर्मी जवान की। वर्दी में अनोखी ताकत होती है। मुझे याद है कि कैसे एफ.आई.आर. के सैट पर यूनिफार्म पहनते ही मेरी बॉडी लैंग्वेज बदल जाती थी। मैं खुद सैट की दरोगा बन गई थी। किसी को कोई तकलीफ होती तो वह मेरे पास आता था। 

 

हरियाणवी भाषा से आपको खास लगाव है? 
मुझे अपनी फिल्म डबिंग के दौरान पता चला कि इससे पहले मैंने जो भी हरियाणवी बोली थी वह गलत थी। उसमें अवधी, राजस्थानी, हरियाणवी सभी भाषाएं मिक्स थीं। रही बात हरियाणवी से लगाव या किस्मत की तो ऐसे किरदार मिलना तो वाकई मेरी किस्मत थी। हरियाणवी से लगाव मुझे बचपन से ही था। 

 

आपके बचपन की कोई खास याद?
मेरे पापा सी.आर.पी.एफ. में डी.एस.पी. थे। इस कारण वर्दी और मेरा नाता काफी पुराना है। मुझे आज भी याद है जब पापा अपने साथ वाले जवानो को रौब से काम के लिए बोलते थे तो मुझे बहुत अच्छा लगता था। इसके बाद मैं पूरा दिन वैसे ही बोलने की प्रक्टिस करती थी। 


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