UT गैस्ट हाऊस रैनोवेशन मामले में इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट ने की टैंडर नियमों की अनदेखी!

punjabkesari.in Thursday, Mar 22, 2018 - 09:51 AM (IST)

चंडीगढ़(राजिंद्र) : शहर में देश भर के 26 राज्यपालों की मई में होने वाली कांफ्रैंस के चलते सैक्टर-6 स्थित यू.टी. गैस्ट हाऊस के 9 कमरों की 1.62 करोड़ रुपए से रैनोवेशन करवाने के मामले में अब सामने आया है कि यू.टी. के इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट ने इस मामले में टैंडर नियमों की अनदेखी की है। 

 

सैंट्रल पब्लिक वक्र्स डिपार्टमैंट वक्र्स मैनुअल-2014 के तहत 20 लाख रुपए तक के किसी भी टैंडर के प्रकाशन में कम से कम 7 दिन की समय सीमा की जरूरत होती है। वहीं, 20 लाख से दो करोड़ रुपए तक के टैंडर के लिए कम से कम 10 दिन की समय सीमा की जरूरत होती है लेकिन यू.टी. गैस्ट हाऊस के 9 कमरों की रैनोवेशन करवाने के लिए यू.टी. इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट ने 16 मार्च को एक टैंडर जारी किया, जिसे 21 मार्च को खोल दिया गया। 

 

वहीं, समान काम का एक टैंडर 17 मार्च को जारी किया गया, जिसे 23 मार्च को खोला जाना है। नियमों की वायलेशन इस तरह भी की गई है कि सेम नेचर के किसी काम का अलग-अलग टैंडर नहीं निकाला जा सकता है लेकिन इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट ने काम को बांटकर सिंगल एस्टीमेट के लिए दो अलग-अलग टैंडर निकाल दिए। 

 

9 कमरों की करवाई जा रही रैनोवेशन :
टैंडर के तहत इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट यू.टी. गैस्ट हाऊस के ग्राऊंड, फर्स्ट और सैकेंड फ्लोर पर कुल 9 कमरों की रैनोवेशन कर रहा है। इस गैस्ट हाऊस का निर्माण वर्ष 1972 में किया गया था। यहां तक कि इस कांफ्रैंस के लिए प्रशासन द्वारा पंजाब और हरियाणा के राजभवनों के साथ लगती यू.टी. गैस्ट हाऊस की दीवार को भी हटाया जा रहा है, ताकि वहीं से वी.वी.आई.पी. एंट्री कर सकें। गौरतलब है कि राज्यपाल कांफ्रैंस वैसे राष्ट्रपति भवन दिल्ली में होती रही है लेकिन इस बार इसे चंडीगढ़ में आयोजित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी इच्छा जाहिर की थी। 

 

मई में होगी कांफ्रैंस :
राज्यपालों की दो दिवसीय 49वीं कांफ्रैंस मई में होनी है। इसमें देशभर से 26 राज्यपाल हिस्सा लेने के लिए चंडीगढ़ आएंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कांफ्रैंस में मौजूद रहेंगे। फिलहाल कांफ्रैंस की फाइनल डेट्स की घोषणा नहीं की गई है।

 

अधिकारियों का यह है कहना :
जब इस संबंध में यू.टी. के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर डी.के. अग्रवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग की मांग थी कि काम को जल्द पूरा किया जाना है। इसलिए जरूरत को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पांच दिन के लिए ई-टैंडर निकाला। इसमें सभी नियमों का ध्यान रखा गया है। ये एक ओपन टैंडर है, जिसमें कोई भी भाग ले सकता है। सेम काम का अलग-अलग टैंडर निकालने पर उन्होंने कहा कि जल्दी और फ्लोर वाइज काम पूरा करना था, इसलिए ऐसा किया गया। 
 


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