मार्कीट में अतिक्रमण बना सिरदर्द, टॉयलेट तक की दीवारों का वसूला जा रहा किराया

punjabkesari.in Friday, Mar 24, 2017 - 11:18 AM (IST)

चंडीगढ़ (राय): चंडीगढ़ की कई मार्कीट्स को अतिक्रमण ने अपनी जद में ले लिया है। आलम यह है कि मार्कीट की मुख्य सड़क पर पैदल भी चलना मुश्किल है। शहर की दो प्रमुख मार्कीट सैक्टर-22 की शास्त्री मार्कीट और सैक्टर-19 की सदर बाजार के हालात ऐसे हैं कि लोगों को वाहन पार्क करने और मार्कीट में जाने के लिए जगह नहीं मिल रही। दिखावे के लिए नगर निगम के अतिक्रमण दस्ते के अधिकारी आते तो हैं, पर उनके जाने के बाद फिर से स्थिति पहले जैसी हो जाती है। सैक्टर-22 में तो इसके खिलाफ 316 दुकानदारों ने हड़ताल भी की थी। विरोध में मेन मार्कीट की सड़क पर जाम लगाने के बाद निगम अधिकारी जागे और अतिक्रमण निरोधी दस्ते ने पार्किंग में बैठे सभी रेहड़ी-फड़ी वालों को हटाने के लिए अभियान चलाया। इसमें फड़ी वालों से 8 ट्रक सामान जब्त किया गया। निगमायुक्त बी. पुरुषार्थ के निर्देश पर निगम इंफोर्समैंट विंग के इंस्पैक्टर की देखरेख में कार्रवाई पुलिस की मदद से शास्त्री मार्कीट में करवाई गई। 

 

शास्त्री मार्कीट पार्किंग से तो फड़ी वालों को हटा दिया गया, पर पार्किंग के साथ और किरण सिनेमा के साथ फुटपाथ पर बैठे फड़ीवालों को नहीं हटाया गया। यही हाल सैक्टर-19 सदर बाजार का रहा। यहां पार्किंग में अतिक्रमण बदस्तूर जारी रहा और लोगों के वाहन मुख्य सड़क के दोनों ओर पार्क होने से सड़क पर जाम लगता रहा। शास्त्री मार्कीट एवं सदर बाजार में पार्किंग स्थल पर रेहड़ी-फड़ी वालों के कब्जे और निगम द्वारा वेंडर्स जोन बनाए जाने से दुकानदारों में जहां आक्रोश है, वहीं जनता की परेशानियां बढ़ रही हैं। सैक्टर-19 मार्कीट के दुकानदारों का कहना है कि पार्किंग में रेहड़ी-फड़ी वालों के कब्जे से मार्कीट की 26 गलियों के 500 से अधिक दुकानदार परेशान हैं। ग्राहक को वाहन पार्क करने के लिए जगह नहीं मिलती। दूसरी बात यह है कि जो सामान हम बेचते हैं, वही, पार्किंग में बैठे फड़ी वाले भी बेच रहे हैं, जिससे मार्कीट में ग्राहक न आने से दुकानदारी पर प्रभाव पड़ता है। 

 

पब्लिक टॉयलेट तक की दीवारों का वसूला जा रहा किराया : प्रशासन और निगम का इंफोर्समैंट विंग दावा कर रहा है कि शहर की मार्कीटों से इंक्रोचमैंट हटा दी गई, जबकि सैक्टर-22,19,41 और 15 में केवल मार्कीटों के बरामदों में बल्कि पार्किंग की जगह भी अवैध दुकानें लगी हैं। यहां तक की दुकानदारों ने बरामदों की दीवारें बेच दी हैं। पब्लिक टॉयलेट तक की दीवारों का किराया वसूला जा रहा है। स्ट्रीट वैंडर्स एक्ट की आड़ में इंक्रोचमैंट का बाजार सज गया है। सैक्टर-19,15 की मार्कीट में अवैध फड़यिां लगने का काम फिर शुरू हो गया है। 

 

सैक्टर-22 की शास्त्री मार्कीट में निगम के इंफोर्समैंट दस्ते ने सड़कों और पार्किंग में बैठे सभी इंक्रोचमैंट हटाने का दावा किया था। इसके साथ साथ दुकानों की दीवारों तक को क्लीयर कर दिया था लेकिन फिर इंक्रोचमैंट का बाजार सजा गया है। सैक्टर-22 की शास्त्री मार्कीट में दुकानदारों ने अपनी दीवारें तक किराए पर चढ़ाई हुई है। इसी प्रकार सैक्टर-19 के सदर बाजार, पालिका बाजार और सैक्टर-15 की बूथ मार्कीट में भी दुकानदारों ने बरामदे तक किराए पर चढ़ा दिए हैं। 

 

दुकानों की दीवारों का किराया 25 से 30 हजार
एस्टेट ऑफिस के अफसरों ने दावा किया था कि शहर की बूथ मार्कीटों में इंक्रोचमैंट करने वालों की अलॉटमैंट तक रद्द कर दी जाएगी। सैक्टर-22,19,15,41 की मार्कीट्स में इंक्रोचमैंट की आड़ में लाखों की कमाई हो रही है। बताया गया कि सैक्टर-22 की शास्त्री मार्कीट में अतिक्रमण का यह हाल है कि दुकानों की दीवारें तक महीने के 25 से 30 हजार रुपए किराए पर चढ़ी हैं। सैक्टर-22 और 19 में सरकारी जमीन पर फड़ी लगाने के रोज 500 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। कब्जों को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में यहां तक कहा है कि इन मार्कीटों में अफसरों की मदद से कब्जे हो रहे हैं। शहर में अब स्ट्रीट वैंडर्स एक्ट लागू है। इसकी आड़ में सैक्टर-22 में नेहरू पार्क तक फड़ी वालों ने कब्जा कर लिया है।     


 


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