शहर में अभी तक 50 प्रतिशत लोगों को नहीं मिल पाए डस्टबिन

punjabkesari.in Sunday, Jul 02, 2017 - 09:03 AM (IST)

चंडीगढ़(राय) : नगर निगम ने शहर में गारबेज से ग्रीगेशन के लिए जून से हरे व नीले रंग के डस्टबिन लोगों को बांटने शुरू किए थे, ताकि गीला व सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित किया जा सकें। लेकिन अभी भी शहर में 50 प्रतिशत लोगों को यह डस्टबिन नहीं मिल पाए हैं। निगम की इस परियोजना को विपक्ष ने पूणणत: विफल करार दिया हैं। 

 

गत दिवस हुई सदन की बैठक में कांग्रेसी पार्षद देवेंद्र बबला ने इस संबंध में कहा की निगम ने जो लोगों के घरों में डस्टबिन बांटे है उसका इस्तेमाल लोग कूड़ा डालने के लिए नहीं बल्कि पानी व सामान डालने के लिए कर रहे है। उन्होंने कहा की किसी ने उनके गमले बना लिए है तो कोई उसमें पानी भर कर गाडिय़ा धो रहे है। उन्होंने कहा की निगम ने लोगों को डस्टबिन तो बांट दिए लेकिन उन्हें इस बारे जागरूक नहीं किया की इनका इस्तेमाल कैसे करना है। 

 

बबला ने कहा की निगम ने दो करोड़ रुपए के डस्टबिन बांट दिए लेकिन वो किसी काम न आ सके उल्टा निगम के पैसे बर्बाद हुए हैं। बबला ने लोगों को पहले जागरूक किया जाना चाहिए था की कोन सा कूड़ा किस डस्टबिन में डालना है और उन्हें कहां रखना है। उन्होंने कहा की डस्टबिन इतने छोटे है की उसमें घरों का कूड़ा पूरा नहीं आ रहा है। यही कारण यही की अधिकतर लोग इनका इस्तेमाल कर किसी प्रकार से कर रहे हैं।      

 

पर्यावरण दिवस पर प्रशासक ने बांटे थे डस्टबिन
निगम ने गत 5 जून को पर्यावरण दिवस के मौके पर शहर भर में हरे-नीले डस्टबिन बांटने शुरू किए थे। पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर ने इस अभियान की शुरूआत की थी। निगम ने शहर के प्रत्येक घर में यह डस्टबिन देने का दावा किया था, ताकि हरे रंग के डस्टबिन में लोग गीला कचरा व नीले डस्टबिन ने ठोस कचरा डाल सकें। 

 

शहर में मौजूदा समय में 2 लाख 34 हजार के करीब घर हैं, लेकिन निगम ने मात्र 15 हजार डस्टबिन ही मंगवाए और उसमें से भी अभी तक आधे डस्टबिन ही लोगों तक पहुंच पाए हैं। इसके अलावा आगे भी निगम ने सिर्फ 35 हजार डस्टबिन ही मंगवाए हैं। जिस रफ्तार से निगम इस प्रोजैक्ट पर काम कर रहा है, उससे यह प्रतीत होता है कि इस साल के अंत तक भी इस प्रोजैक्ट को पूरा नहीं कर पाएगा। 

 

हालांकि निगम का दावा है कि अक्तूबर माह तक निगम घरों तक यह डस्टबिन पहुंचा देगा। पार्षदों ने भी माना है कि अभी तक आधे डस्टबिन ही लोगों को बांट पाए हैं। डस्टबिन बांटने के पीछे निगम का मकसद था कि शहर में मौजूद 2 लाख 34 हजार घरों में हरे और नीले डस्टबिन बांटे जाएं। लोग हरे डस्टबिन में गीला कचरा इकट्ठा करें और नीले डस्टबिन में सूखा कचरा इकट्ठा करें।

 

इतना ही नहीं सफाई कर्मी जब कूड़ा इकट्ठा करने आएंगे तो वह भी इस कूड़े को अलग-अलग एकत्रित करें। इस कूड़े को बाद में अलग-अलग बिन में डाला जाएगा, ताकि गीले कचरे के निपटान के लिए उसे बॉयोमेथीनेशन प्लांट तक पहुंचाया जा सकें व उससे बिजली पैदा करके उसका इस्तेमाल स्ट्रीट लाइट्स रोशन करने के लिए किया जा सकें। 

 

रैजीडैंट वैल्फेयर एसो. ने उठाए कदम :
शहर की कई रैजीडैंट वैल्फेयर एसोसिएशन ने खुद ही यह डस्टबिन खरीदकर  स्थानीय लोगों को बांटने का फैसला लिया है। कई एसोसिएशनों ने लोगों को डस्टबिन बांट भी दिए हैं। 


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