क्रेच, आंगनबाड़ी में बुड़ैल जेल के कैदियों द्वारा तैयार खाने की सप्लाई करने के विरोध में पैरेंट्स

punjabkesari.in Tuesday, Nov 14, 2017 - 10:36 AM (IST)

चंडीगढ़(विजय) : ‘जैसा खाए अन्न, वैसा बनता मन!’ अगर बच्चों को ऐसे हाथों से बना हुआ खाना रोजाना परोसा जाएगा जिनसे कोई न कोई जुर्म किया गया हो तो इस बात से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता कि गुरुग्राम के एक प्राइवेट स्कूल में जो हादसा कुछ दिन पहले हुआ था वही चंडीगढ़ में दोहराया जा सकता है। 

 

कुछ इसी तरह की चिंता के साथ पेरेंट्स अब चंडीगढ़ प्रशासन की उस स्कीम का विरोध करने की तैयारी में जुट गए हैं जिसमें बुड़ैल जेल के कैदियों के हाथों से तैयार किए जाने वाले भोजन को शहर के आंगनवाड़ी और क्रेच में रह रहे छोटे-छोटे बच्चों को परोसा जा रहा है। सोमवार को कुछ पैरेंट्स ने सोशल वेलफेयर एंड वूमैन एंड चाइल्ड डिवैल्पमैंट के सचिव बी.एल. शर्मा के पास इसकी शिकायत भी दे दी। 

 

यू.टी. सैक्रेट्रिएट में पहुंचे पैरेंट्स ने कहा कि वह प्रशासन के इस फैसले के पूरी तरह से खिलाफ हैं। क्योंकि कैदियों के हाथे से तैयार किए गए खाने को आंगनवाड़ी और क्रेच में रह रहे 1 से 8 साल के बच्चों को खाना पड़ रहा है। 

 

बी.एल. शर्मा को दिए गए ज्ञापन में पेरैंट्स ने हिंदू शास्त्रों का उदाहरण देते हुए कहा कि जो व्यक्ति खाना बनाता है वह अपनी क्वालिटी भी उसमें भर देता है। इसलिए प्रशासन को अपना यह फैसला वापस लेना चाहिए। क्योंकि इससे गुरुग्राम के रेयान इंटरनैशनल स्कूल जैसे हादसे चंडीगढ़ में भी बढऩे की आशंका है।

 

बच्चों को भी है पूरी जानकारी :
पेरैंट्स की चिंता यह भी है कि उनके बच्चों को इसकी पूरी जानकारी है कि उन्हें जो भोजन दिया जा रहा है वह कहां से आ रहा है। हालांकि कुछ पेरेंट्स ने अब घर से ही खाना तैयार करके भेजना शुरू कर दिया है। लेकिन बावजूद इसके लोगों का कहना है कि बच्चे घर के खाने के साथ जब दूसरे बच्चों की प्लेट में जेल का बना हुआ भोजन देखेता है तो उसे भी खाने की जिद करता है। यानि पेरैंट्स चाहे जितनी कोशिश कर लें बच्चे वह खाना जरूरी खाएंगे।

 

सचिव ने दिया आश्वासन :
हिंद मजदूर महासभा की ओर से यह मामला सोशल वेलफेयर एंड वूमैन एंड चाइल्ड डिवैल्पमैंट के सचिव बी.एल. शर्मा के सामने उठाया है। महासभा के उप-प्रधान कश्मीर चंद ने बताया कि काफी देर तक इस मामले में बी.एल. शर्मा के साथ मीटिंग चली। इस दौरान शर्मा ने डी.पी.आई. रुपिंदरजीत सिंह बराड़ को भी फोन पर इस मामले को फिर से चेक करने के लिए कहा। यही नहीं, उन्होंने आश्वासन दिया कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए उचित फैसला जल्द ही लिया जाएगा।

 

यह है स्थिति :

-शहर की 50 क्रेच में भेजा जा रहा है खाना।

-यू.टी. के प्रशासक ने क्रेच के लिए लांच की थी यह स्कीम।

-पहले तक केवल आंगनबाडिय़ों में रह रहे बच्चों को ही परोसा जा रहा था भोजन।

-पेरैंट्स प्रशासन के फैसले के खिलाफ अभियान छेडऩे की कर रहे हैं तैयारी।


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