विदेशों में काला धन रखने वालों की खैर नहीं!

punjabkesari.in Sunday, Oct 01, 2017 - 05:31 PM (IST)

मुम्बई: काले धन के खिलाफ केंद्र सरकार ने एक और करारा वार किया है। सरकार विदेशों में काला धन रखने वालों के खिलाफ  कानून को और सख्त बनाने जा रही है। काला धन कानून के नए प्रावधानों के मुताबिक आयकर विभाग विदेश में काला धन या अघोषित संपत्ति रखने वालों की भारतीय संपत्ति को कुर्क और जब्त कर सकता है। साथ ही ऐसे कर चोरों के खिलाफ  धन शोधन रोकथाम कानून (पी.एम.एल.ए.) के तहत अलग से मुकद्दमा चलाया जा सकता है। 

सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सी.बी.डी.टी.) ने अघोषित विदेशी आय के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) तथा काला धन कानून 2015 के मौजूदा ढांचे में कुछ नए प्रावधान किए हैं। मौजूदा कानून में यह प्रावधान नहीं है कि अघोषित विदेशी धन या संपत्ति को पी.एम.एल.ए. के तहत मुकद्दमा चलाने के लिए सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा या नहीं। अलबत्ता यह केवल संपत्ति कर कानून, विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून, कंपनी कानून और सीमा शुल्क कानून से बचाव की गारंटी देता है।
 
पी.एम.एल.ए. कानून में किया गया संशोधन 
नए प्रावधानों से आयकर विभाग को कर चोरों से बकाया वसूलने के लिए उनकी अघोषित विदेशी संपत्ति के मूल्य के बराबर घरेलू संपत्ति जब्त और कुर्क करने का अधिकार मिल जाएगा। इसी तरह अघोषित विदेशी आय और संपत्ति के मामले में कर चोरी को अपराध बनाने के लिए पी.एम.एल.ए. कानून में संशोधन किया गया है। इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति पहले अघोषित संपत्तियों पर कर और जुर्माने का भुगतान करता है तो उस पर भी पी.एम.एल.ए. के तहत गाज गिर सकती है। विभाग ने इसी सप्ताह इस बारे में एक आंतरिक परिपत्र वितरित किया था। कानून में संशोधन के बारे में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड जल्द ही अधिसूचना जारी कर सकता है।

जुर्माना लगाने के लिए संयुक्त आयुक्त की मंजूरी की जरूरत नहीं
इतना ही नहीं अघोषित विदेशी आय पर उस समय की कीमत के मुताबिक कर लगेगा जब पिछले वर्षों के दौरान इसका पता चला था। आयकर कानून के तहत आय छिपाने का जुर्माना वास्तविक कर का 3 गुना होगा। कानून के तहत यह अपराध मध्यस्थता के लायक नहीं है और अपराधी आयकर निपटान आयोग में गुहार नहीं लगा सकता। किसी के खिलाफ  जांच शुरू होने के 21 दिन के भीतर विदेशी अदालत में अर्जी लगाई जा सकती है ताकि आयकर अधिकारियों को तुरंत जानकारी मिल सके और संबंधित देश के जवाब के बाद आगे की कार्रवाई की जा सके।


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