बैंक बोर्ड ब्यूरो में विनोद राय नहीं दिखा पाए कोई जलवा

punjabkesari.in Thursday, Mar 08, 2018 - 01:06 PM (IST)

नेशनल डेस्कः वित्त मंत्री एवं पी.एम.ओ. के बीच के सूत्रों की मानी जाए तो बड़ी उम्मीदों से लाए गए विनोद राय बैंक बोर्ड ब्यूरो में अपना कोई खास जलवा नहीं दिखा पाए हैं। मोदी सरकार ने प्राथमिक रूप से विनोद राय को उनकी सेवाओं के लिए बतौर कैग से नवाजा था।

नीरव मोदी-मेहुल चोकसी जैसे बैंक घपले जो जनता के विश्वास को तोड़ने वाले हैं, से बचाने हेतु प्रणालीगत सुधार में राय की असफलता ने ब्यूरो को मुसीबत में डाल दिया है। इसी मामले में विनोद राय की अवधि मार्च में समाप्त हो रही है। राय को इन बैंकों में प्रबंधकीय कर्मियों के लिए आचार संहिता एवं नियम लगाने हेतु सरकार को परामर्श देने का काम सौंपा गया था। पी.एस.बीज के चेयरमैन के पदों जोकि एम.डी. व सी.ई.ओ. हैं, को डी-लिंक करने का प्रस्ताव राय का था परन्तु वह कोई लाभांश लाने में असफल रहे। घपलेबाजों ने इन बैंकों में मानव संसाधनों के प्रबंधनों का दुरुपयोग कर अपना हित बनाया, जबकि बी.बी.बी. का प्रमुख कार्य इन बैंकों में मानव संसाधनों का सुधार करना था।

अब सरकार पी.एस.बीज के फास्ट ट्रैक विलय की ओर बढ़ रही है और मैगा क्षेत्रीय बैंकों का सृजन कर रही है। राय को इस नियम के अधीन 2016 में 2 वर्ष का कार्यकाल दिया गया था कि रिटायर्ड कैग कोई सरकारी नौकरी नहीं कर सकता है। राय बी.सी.सी.आई. एवं अन्य महत्वपूर्ण समितियों के भी चेयरमैन हैं। सरकार इस बात से भी नाराज है कि विनोद राय यू.पी.ए. सरकार के दौरान बैंकिंग सैक्रेटरी थे एवं भली-भांति जानते थे कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में क्या हो रहा था। दूसरी ओर बी.बी.बी. को मेहुल चोकसी द्वारा रचे जा रहे घपले संबंधी जुलाई 2016 में एक संकेत द्वारा सूचित किया गया था परन्तु बी.बी.बी. कुछ नहीं कर पाई।


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