टैक्सी-कैब बिक्री की थमी ''स्पीड'', ये है वजह

punjabkesari.in Wednesday, May 24, 2017 - 11:30 AM (IST)

नई दिल्लीः दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे शीर्ष बाजारों में टैक्सी मालिकों और कैब एग्रीगेटरों के लिए कारों की बिक्री थम गई है। इस महीने की शुरुआत में सड़क परिवहन मंत्रालय की एक अधिसूचना के बाद इन तीन महानगरों तथा कुछ अन्य शहरों में आर.टी.ओ. ने बिना स्पीड गवर्नर के टैक्सियों का पंजीकरण बंद कर दिया है।

इस अधिसूचना में टैक्सियों पर स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य बना दिया गया है। इससे ये टैक्सियां 80 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से ज्यादा तेज नहीं चल पाएंगी और दुर्घटनाओं पर भी लगाम लगेगी। पिछले साल घरेलू बाजार में 30 लाख यात्री वाहन बेचे गए थे जिनमें से 9 फीसदी वाहन टैक्सी मालिकों और उबर तथा ओला जैसे कैब एग्रीगेटरों को बेचे गए थे। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की बिक्री में कैब एग्रीगेटरों हिस्सेदारी 6 फीसदी थी। होंडा कार्स इंडिया के वरिष्ठï उपाध्यक्ष (बिक्री और विपणन) ज्ञानेश्वर सेन ने कहा कि टैक्सी और कैब श्रेणी में वाहनों के पंजीकरण को लेकर कुछ समस्याएं हैं। पहले स्पीड गवर्नर का नियम केवल व्यावसायिक ट्रांसपोर्ट वाहनों के लिए था। अब टैक्सियों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। इससे हर कोई प्रभावित हो रहा है।

यही वजह है कि मंत्रालय ने अब इन वाहनों के लिए भी स्पीड गवर्नर अनिवार्य कर दिया है। टैक्सी मालिकों के कई संगठन भी स्पीड गवर्नर लगाने की अनिवार्यता का विरोध कर रहे हैं क्योंकि इसके लिए उन्हें करीब 10,000 रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा। वर्ष 2015 में देश में सड़क दुर्घटनाओं के कारण 146,000 लोगों की मौत हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक देश में रोजाना करीब 1,374 दुर्घटनाएं होती हैं और 400 लोग मारे जाते हैं। यानी हर घंटे 57 दुर्घटनाएं और 17 लोगों की मौत। सरकार ने इस साल अक्टूबर से लांच होने वाली हर कार में एयर बैग को अनिवार्य बना दिया है। साथ ही वाहनों को दुर्घटना परीक्षण के कड़े मानकों से गुजरना होगा।


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