तीन साल में नई बुलंदी पर पहुंचा शेयर बाजार

punjabkesari.in Tuesday, May 23, 2017 - 02:39 PM (IST)

नई दिल्लीः निवेशकों की उम्मीदों, आर्थिक सुधारों और मोदी सरकार की राजनीतिक सफलताओं से भरे 3 साल के दौरान कम उतार और ज्यादा चढ़ाव से होता हुए घरेलू शेयर बाजार नई बुलंदियों पर पहुंचने में कामयाब रहा है। गत तीन साल में बी.एस.ई. के सैंसेक्स ने 27 प्रतिशत और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी ने 31 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। लेकिन, निवेशकों को वास्तव में मालामाल किया छोटी और मझौली कंपनियों ने जहां उनका पैसा तीन साल में ही दुगना हो गया।

लोकसभा चुनाव के बाद बाजार ने बनाए नए रिकॉर्ड 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से बाजार को काफी उम्मीद थी। इस वजह से लोकसभा चुनाव परिणामों से पहले ही सर्वेक्षणों के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी नीत गठबंधन को बहुमत मिलने की खबरों से बाजार ने नए रिकॉर्ड बनाने शुरू कर दिए थे। चुनाव परिणामों की घोषणा के दिन 16 मई 2014 को भी निवेशकों ने खूब पैसा लगाया और सैंसेक्स 24 हजार अंक के पार 24,121.74 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी भी बढ़त के साथ 7,203 अंक पर बंद हुआ। तीन साल में 26.74 प्रतिशत की तेजी के साथ 22 मई 2017 को सैंसेक्स 30,570.97 अंक पर और निफ्टी 31.03 प्रतिशत की मजबूती के साथ 9,427.90 अंक पर बंद हुआ।

तीन साल में 2 बार बाजार ने बनाए रिकॉर्ड 
तीन साल में दो ऐसे मौके रहे जब बाजार नित नए रिकॉर्ड बनाता दिखा है। एक चुनाव परिणामों की घोषणा के तुरंत बाद और सरकार के शुरुआती दिनों में और दूसरा इस साल मई के महीने में। पहली बार निवेशक लोकसभा चुनाव में स्थिर सरकार मिलने से बाजार के प्रति विश्वास से लबरेज थे और दूसरी बार उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों में भाजपा की सरकार बनने और लगातार दूसरे साल अच्छे मानसून की खबरों से जमकर बाजार में पैसा लगा रहे हैं।

मिडकैप-स्मॉलकैप में रही बढ़त
मझौली और छोटी कंपनियों का प्रदर्शन पूरे तीन साल लाजवाब बना रहा। बी.एस.ई. का मिडकैप 16 मई 2014 को 7,765.72 अंक पर बंद हुआ था जो तीन साल में 88.57 फीसदी चढ़कर 19 मई 2017 को 14,644 अंक पर रहा। इसी तरह स्मॉलकैप 93.10 प्रतिशत की बढ़त के साथ 7,885.76 अंक से बढ़कर 15,227.07 अंक पर पहुंच गया है।

अगस्त 2015 में सैंसेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट
इस बीच वर्ष 2015 में बिहार में भाजपा की करारी हार और लगातार दूसरे साल मानसून के दगा देने के बाद शेयर बाजार में गिरावट का दौर भी देखा गया। मार्च 2015 में पहली बार कारोबार के दौरान 30 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार करने के बाद बाजार को सबसे बड़ा झटका अगस्त 2015 में लगा। चीन द्वारा दो दिन में उसकी मुद्रा का चार प्रतिशत से ज्यादा अवमूल्य करने से 24 अगस्त 2015 को सैंसेक्स में अब तक की सबसे बड़ी 1,506.72 अंक की गिरावट देखी गई। निफ्टी भी 490.95 अंक टूटा जो इसकी भी दूसरी सबसे बड़ी गिरावट रही। फरवरी 2016 तक मोदी सरकार के कार्यकाल में सैंसेक्स पहली बार 23 हजार अंक से नीचे उतर चुका था।


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