रेल मंत्री के साथ ''पंजाब केसरी'' की खास बातचीत, दिए सवालों के जवाब

punjabkesari.in Tuesday, Aug 08, 2017 - 12:47 PM (IST)

पेशे से चार्टर्ड एकाऊंटैंट हैं और कलम उनकी बहुत तेज चलती है। हिसाब-किताब के वह माहिर तो हैं ही, अब रफ्तार के मास्टर भी बन गए हैं। भारतीय रेल उनके नेतृत्व में अंदाज बदल रही है। देश में वह हाई स्पीड और बुलेट ट्रेन चला रहे हैं। राजनीति और सोशल मीडिया की दुनिया में वह ‘प्रभु’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। नाम है उनका सुरेश प्रभाकर प्रभु। देश के रेल मंत्री की कुर्सी पर बैठकर वह बड़े से बड़े काम तो कर ही रहे हैं, सोशल मीडिया के माध्यम से यात्रियों की छोटी से छोटी दिक्कतों को दूर करने के लिए भी लगे रहते हैं। पंजाब केसरी/नवोदय  टाइम्स से हुई खास बातचीत में उन्होंने रेलवे की योजनाओं पर खुलकर बात की तथा कुछ अनछुए पहलुओं पर बड़ी बेबाकी से अपना पक्ष रखा। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश: 

1.रेलवे की पहेली क्या है। बदलाव की काफी बातें होती रही हैं ? 
रेलवे को बड़े व्यापक रूप से बदलाव की जरूरत थी। जैसे ही प्रधानमंत्री ने 9 नवम्बर 2014 को रेलमंत्री की जिम्मेदारी दी, तय कर लिया था कि श्वेत पत्र लाएंगे और बीमारी को जड़ से ठीक करने की कोशिश करेंगे। छोटी-मोटी दवाओं से  काम नहीं चलने वाला था। इसमें ओवरआल सभी कठिनाइयों और जरूरतों को दर्ज किया। हालत यह थी कि रेल के  16 प्रतिशत नैटवर्क पर 60 प्रतिशत ट्रैफिक दौड़ रहा था। इस कारण से पूरा सिस्टम डीरेल था। देरी से ट्रेनें चल रही थीं। यात्रियों को सुविधाएं भी न के बराबर थीं। पैसा नहीं था। 1991 के बाद रेलवे में निवेश पर ध्यान न के बराबर ही रहा। कोशिश की और भारतीय जीवन बीमा निगम (एल.आई.सी.) को रेलवे की विभिन्न व्यावसायिक परियोजनाओं के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपए निवेश करने के लिए राजी किया। निवेश के बाद ही 16500 किलोमीटर रेलवे ट्रैक के डबलिंग एवं ट्रिपलिंग की मान्यता मिली। यह काम 3 से 4 साल में पूरा हो जाएगा। इसके अलावा ट्रेनों का टाइम टेबल बिगड़ा था। उसमें काफी कुछ सुधार किया, नतीजन 85 प्रतिशत तक पंचुअलटी तक पहुंच गए हैं। ट्रेनों की स्पीड के लिए विद्युतीकरण सबसे अहम हिस्सा है, जिस पर मात्र 42 फीसदी काम हुआ था। हमने अपने श्वेत पत्र के अनुसार इसे 100 प्रतिशत तक पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है। संभावना है कि अगले 5 साल में सभी लाइनों का विद्युतीकरण कर देंगे। 40 हजार पुराने कोचों के आधुनिकीकरण की शुरूआत भी हो चुकी है। यात्री सुविधाओं पर काफी जोर दिया जा रहा है। डिब्बों के अलावा स्टेशनों पर वाईफाई को बड़े स्तर पर शुरू कर दिया गया है। यात्रियों को कम्बल की शिकायत रहती थी लिहाजा, अब उनकी धुलाई के लिए आधुनिक लांड्री स्थापित की गई है। स्टेशनों पर यात्रियों की सुविधा के लिए स्वचालित सीढिय़ां, लिफ्ट आदि सुविधाएं भी बढ़ाई गई हैं। चूंकि रेलवे की व्यवस्था इतनी बड़ी है कि सुधारने में समय तो लगेगा ही। लिहाजा, 9 नवम्बर 2014 से शुरू हुआ सफर अभी जारी है। ट्रेन गति से  चल रही है, लेकिन मंजिल अभी दूर है।

2. कैसी है रेलवे की सेहत?
रेलवे की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब थी कि उसमें सुधार लाने के लिए बड़े प्रयास की जरूरत थी। जरूरत थी कि बड़े बदलाव हों और छवि सुधरे। कर्मचारी खुश रहें। लेकिन कर्मचारियों के इतने बड़े अमले से सही दिशा में काम लेना और उनका वित्तीय दबाव रेलवे की सबसे बड़ी चुनौती है। पे-कमीशन, ऐरियर-बोनस बड़े दबाव रहे। इसको संभालने में  काफी मशक्कत हुई। इसके लिए रेवेन्यू के दूसरे रास्ते तलाशे गए। नान फेयर रेवेन्यू पर विशेष ध्यान दिया गया। अगले 10 सालों में एनर्जी पर खर्च में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा। रेलवे को काफी लाभ होगा। रेलवे ईआरपी ला रहा है ।  इससे 70 हजार करोड़ मिलेंगे। साथ ही रेलवे की वित्तीय हालात में भी सुधार होगा। इसके अलावा रेलवे में एकाउण्ट रिफार्म की जरूरत को भी पूरा किया जा रहा है।

3. कैसे हुए बदलाव ?
रेलवे की हालात में सुधार लाने एवं यात्रियों को सभी सुविधाएं मुहैया करवाने के मकसद से ही विश्व स्तरीय आधुनिक शिकायत प्रणाली शुरू की। इसके अलावा टिकटिंग के लिए नया ऐप बनाया। नई ट्रेन के प्रोडक्ट निकाले गए। इसमें तेजस ट्रेन, गरीबों के लिए अंत्योदय एक्सप्रैस, गतिमान एक्सप्रैस, महामना एक्सप्रैस, और जल्द ही उदय एक्सप्रैस (डबल डैकर) आने वाली है, जो लम्बी दूरी को एक रात में खत्म करेगी।

4. बस ,70 साल में मात्र 8 हजार किमी पटरी? 
यह सवाल सही है कि आजादी के वक्त रेलवे लाइन जो 50 हजार किलोमीटर थी उसके सत्तर साल बाद भी 8 हजार किलोमीटर ही बढ़ पाई। लेकिन अब  नैटवर्क  विस्तार पर  तेजी से काम हो रहा है। कोशिशों के बाद हमारा लक्ष्य 16500 कि.मी. के  ट्रैक के  विस्तार का  है। इसके अलावा डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का धीमी गति से काम चल रहा था। 2019 दिसम्बर तक डी.एफ.सी. काम पूरा कर लेगा। रेलवे के 2 प्रमुख ट्रंक रूट हैं। दिल्ली-मुबंई एवं दिल्ली-कोलकाता। इन दोनों रूटों पर 200 किलोमीटर की स्पीड के लिए काम चल रहा है। इसके लिए नीति आयोग से मंजूरी भी मिल गई है। 2022 तक लगभग सभी काम पूरे कर लिए जाएंगे। साथ ही ट्रेनों की रफ्तार अपने आप बढ़ जाएगी।

5. रेलवे अपने अन्य संसाधनों का इस्तेमाल क्यों नहीं करता ?
बिल्कुल सही सवाल है। यह सच है कि अभी तक संसाधनों का इस्तेमाल नहीं हुआ है। लिहाजा, उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से काम करने जा रहे हैं। इसके लिए स्टेशन डिवैल्पमैंट पर काम शुरू कर दिया है। इसके अलावा जमीनों का इस्तेमाल के लिए 100 बड़े प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल बना रहे हैं। वेयर हाऊसों पर काम चल रहा है। इसी तरह गैर टिकट रैवेन्यू के जरिए भी रैवेन्यू बढ़ाने की नीति पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए 2 लाख से अधिक डिजिटल डिस्प्ले नैटवर्क का जाल बिछा रहे हैं। विज्ञापन के जरिये कमाई होगी और जमीनों का व्यावसायिक इस्तेमाल होगा।

6. रेलवे में वर्क कल्चर में आमूल-चूल परिर्वतन कब ? 
यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी  है। स्टेशन मास्टर से लेकर महाप्रबंधक तक की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा रही है। उन्हें ताकतवर बनाया जा रहा है और पूरे अधिकार दिए जा रहे हैं । एयरलाइंस की तर्ज पर ट्रेन में पायलट पद इजाद किया। एक व्यक्ति ट्रेन की पूरी जिम्मेदारी के लिए सुनिश्चित किया। इन्हें ट्रेन सुपरिंटैंडैंट का नाम दिया। इसी प्रकार स्टेशन मास्टरों का असली काम क्या है, वह समझाया उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की। साथ ही बड़े रेलवे स्टेशनों पर स्टेशन डायरैक्टर का पद बनाया। इसी तरह जोनल लैवल पर महाप्रबंधकों को पूरी जिम्मेदारी दी। आज 1 रुपए का टैंडर भी रेल मंत्रालय में नहीं होता है। सारे अधिकार महाप्रबंधक के पास हैै। सभी महाप्रबंधकों के साथ एम.ओ.यू. साइन किया गया है।

7. अच्छा काम किए तो ईनाम, बुरे काम पर मिलेगी सजा? 
कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए कई तरीके अपनाए गए। उनके दुख-सुख में शामिल होने की कोशिश की गई। कार्यक्रम करवाए गए। पुरस्कार दिए गए।  उनकी जिम्मेदारी क्या है, यह सुनिश्चित की। के.आर.ए. ( की रिजल्ट एरिया) तय किए। प्रोत्साहन और दंड की नीति है। इसके अलावा अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर निगरानी रखी गई। जो गलत है, वो गलत है। रेलवे गलत लोगों को बर्दाश्त नहीं करेगा। हाल ही में एक मामले में एक इंडियन रेलवे सॢवस के टॉप अधिकारी पर शिकंजा कसा है। उनके खिलाफ एफ.आई.आर. भी दर्ज कराई है। इसके अलावा एक यात्री की शिकायत पर ट्रेन के टीटीई को अगले स्टेशन पहुंचने तक सस्पैंड कर दिया गया है।

8. यात्री सुविधाओं पर कब ध्यान दिया जाएगा? 
ध्यान दिया जा रहा है। सबसे पहले गंदगी पर ध्यान दिया है। क्लीन माई कोच अभियान चलाया। अब बड़े पैमाने पर रेलवे के कोच एवं स्टेशन साफ सुथरे होने लगे हैं। ट्रैक के आसपास झुग्गी-झोंपड़ी होने से ट्रैक गंदा हो जाता है। लिहाजा, वह लोगों से अपील भी करते हैं कि वह ट्रेन को साफ रखें। आखिर जब ट्रेन निकलती है तो साफ रहती है, लेकिन पहुंचते-पहुंचते गंदी हो जाती है। उन्होंने दावा किया कि आप गंदगी न करें, हम साफ करने के लिए तैयार हैं। साथ ही लोगों को गंदगी नहीं करने का संकल्प लेना होगा।

9. जनरल डिब्बों  में चलने वाले यात्रियों के लिए क्या कर रहे हैं ? 
कई अच्छे प्रयास किए। सबसे पहले तो कमजोर तबके के लिए अंत्योदय ट्रेन चलाई जो पूरी तरह से आम आदमी के लिए है। इसके अलावा पानी की बोतल 15 रुपए में थी, जिसे आम आदमी खरीद नहीं पाता था। उनके लिए 1 रुपए और 3 रुपए में पानी मुहैया करवाया गया। सस्ती दर पर भोजन की व्यवस्था की। इसके अलावा अनरिजर्व डिब्बों में मोबाइल चार्जिंग की व्यवस्था नहीं थी, जिसको लेकर लोग परेशान होते थे। इसे देखते हुए पहल के आधार पर मोबाइल चार्जिंग का इंतजाम किया।

10. इतिहास में पहली बार कर्मचारियों पर ध्यान
लाखों रेल कर्मचारियों की रक्षा और सुरक्षा पर बड़ा प्रयोग शुरू किया है। रेल के इतिहास में पहली बार एच.आर. पॉलिसी बनाई गई है। साथ ही कर्मचारियेां की समस्याओं के निवारण के लिए निवारण पार्टल लांच किया। कर्मचारियों की बहुत समस्याएं थीं। सुधार के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। सबसे बड़ी समस्या पैंशन और मैडिकल की होती है। लिहाजा, उन्होंने मैडिकल के लिए हाल ही में स्मार्ट कार्ड की सुविधा शुरू कर दी। सभी रिटायर्ड कर्मचारियों को जोडऩे का अभियान छेड़ा। उनके सुझाव भी रेलवे के बदलाव में काफी काम आ रहे है।

11. बुलेट ट्रेन :मुम्बई-अहमदाबाद रूट की आधारशिला जल्द
बुलेट ट्रेन के संचालन को लेकर सवाल उठाना बेकार है। देश की पहली एवं बहुप्रतीक्षित बुलेट ट्रेन परियोजना मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की आधारशिला जल्द रखी जाएगी। भारत ने जापान के साथ इस परियोजना के निर्माण एवं वित्तपोषण का समझौता मोदी सरकार के कार्यकाल में 2015 में किया था। परियोजना रिपोर्ट के अनुसार 508 किलोमीटर की हाईस्पीड लाइन का निर्माण 2018 से शुरू हो जाएगा और स्टेशनों एवं अन्य सभी सुविधाओं का निर्माण पांच साल में पूरा हो जाएगा। बुलेट ट्रेन परियोजना जापान की शिन्कान्सेन तकनीक पर आधारित है। दोनों देशों के संयुक्त उपक्रम के तौर पर बनने वाली करीब 97 हजार 636 करोड़ रुपए की लागत वाली इस हाईस्पीड ट्रेन परियोजना के लिए जापान वित्तपोषण कर रहा है। मुंबई का स्टेशन बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लैक्स में बनाया जाएगा।

12. ट्रेलर देख रहे हैं, फिल्म अभी बाकी है 
विकास को लेकर जो भी कुछ हुआ वह सिर्फ ट्रेलर देख रहे हैं, फिल्म तो अभी बाकी है। उनके मुताबिक 400 रेलवे स्टेशनों में से 100 स्टेशनों को आधुनिक बनाने का काम चल रहा है। यात्रियों को क्या चाहिए...? अच्छा और साफ-सुथरा स्टेशन, कंफर्म टिकट, साफ-सुथरा कोच। यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रेनों एवं स्टेशनों पर वल्र्ड क्लास मनोरंजन की व्यवस्था शुरू करने जा रहे हैं। इसका टैंडर भी कर दिया है।


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