पी-नोट्स से निवेश पर सेबी सख्त, हर इश्यू पर ब्रोकर्स को देनी होगी 65000 रुपए फीस

punjabkesari.in Thursday, Jun 22, 2017 - 10:14 AM (IST)

नई दिल्ली: शेयर बाजार में अवैध धन के फ्लो को रोकने के लिए मार्कीट रैगुलेटर सेबी पाॢटसिपेटरी नोट्स (पी.नोट्स) से जुड़े नियमों को और सख्त करने जा रहा है। सेबी ने विदेशी ब्रोकर्स द्वारा इश्यू किए जाने वाले हर पी-नोट्स इश्यू पर लेवी लगाने का फैसला किया है। हालांकि इस पर पूरी तरह से बैन नहीं होगा। हर इश्यू पर ब्रोकर्स को 65000 
रुपए रैगुलेटरी फी देनी होगी। 

सेबी का मानना है कि इस कदम से इस रास्ते के जरिए भारत में निवेश घट जाएगा। सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी का कहना है कि हम पी-नोट्स निवेश पर पूरी तरह से बैन नहीं लगा रहे हैं। इसके नियम सख्त किए गए हैं। असल में बहुत से नए विदेशी निवेशक जो भारतीय शेयर मार्कीट को चैक करना चाहते हैं, वे पी-नोट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। 
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विदेशी निवेशकों को आसान होगा रजिस्ट्रेशन 
वहीं, पी-नोट्स निवेश को रोकने के लिए सेबी ने विदेशी निवेशकों के लिए शेयर मार्कीट में डायरैक्ट रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आसान करने का फैसला लिया है। सेबी का कहना है कि फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वैस्टर्स के रजिस्ट्रेशन के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए नियम आसान किए जाएंगे। एफ.पी.आई. रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया अभी कुछ वजहों से देरी हो जाती है। इसका एक उद्देश्य यह भी है कि पी-नोट्स के जरिए मार्कीट में होने वाले निवेश को कम से कम किया जाए।
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कमोडिटी मार्कीट में अल्टरनेटिव इन्वैस्टमैंट फंड को मंजूरी 
कमोडिटी मार्कीट के लिए बड़ा फैसला लिया है। सेबी ने कमोडिटी मार्कीट में संस्थागत निवेश को मंजूरी दे दी है। यानी अब कमोडिटी मार्कीट में अल्टरनेटिव इन्वैस्टमैंट फंड भी निवेश कर सकेंगे। सेबी का कहना है कि कमोडिटी डेरीवेटिव एडवाइजरी कमिटी के सुझावों के बाद यह फैसला लिया गया है।  इस फैसले से मार्कीट में निवेश बढ़ेगा, जिससे लिक्विडिटी की समस्या खत्म होगी

क्या है पी-नोट्स 
पाॢटसिपेटरी नोट यानी (पी-नोट) एक तरह का ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमैंट होता है, जो इन्वैस्टर्स सेबी के पास रजिस्ट्रेशन कराए बगैर इंडियन सिक्योरिटीज में पैसा लगाना चाहते हैं, वे इनका इस्तेमाल करते हैं। विदेशी इन्वैस्टर्स को पी-नोट्स सेबी के पास रजिस्टर्ड फॉरेन ब्रोकरेज फम्र्स या डोमैस्टिक ब्रोकरेज फम्र्स की विदेशी यूनिट्स जारी करती हैं। ब्रोकर इंडियन सिक्योरिटीज (शेयर, डेट या डेरिवेटिव्स) में खरीदारी करते हैं और फीस लेकर उन पर क्लाइंट को पी-नोट्स इश्यू करते हैं।  


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