दर में कटौती से कुल जमा में सरकारी बैंकों का घटेगा हिस्सा

punjabkesari.in Saturday, Aug 05, 2017 - 11:22 AM (IST)

मुम्बई: देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एस.बी.आई.) द्वारा बचत जमा पर ब्याज दर में कटौती किए जाने से लघु अवधि में उसके माॢजन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लायबिलिटी फ्रैंचाइजी में गिरावट दिख सकती है क्योंकि जमाकत्र्ता अपनी बचत को बैंकों और अधिक ब्याज दर वाली प्रतिभूतियों में जमा करने लगे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य बैंक भी बचत खातों में जमा पर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं और यह उनके लिए कोई खराब पहल नहीं होगी।

बैंकों का ब्याज माॢजन प्रभावित हो रहा है।  एम.के. ग्लोबल फाइनैंशियल सॢवसेज के अर्थशास्त्री एवं प्रमुख (संस्थागत अनुसंधान) धनंजय सिन्हा ने कहा कि इससे एस.बी.आई. की कुछ चालू एवं बचत जमा प्रतिस्पॢधयों के पास जा सकती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान कमजोर ऋण वृद्धि के मद्देनजर बैंक वास्तव में यही हासिल करना चाहते हैं। ऋण वृद्धि न होने के बावजूद जमा में लगातार वृद्धि होने से बैंकों का ब्याज माॢजन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में बचत जमा पर ब्याज दर में कटौती से उन्हें तत्काल थोड़ी राहत मिलेगी। हालांकि आगे चलकर ऋण मांग में तेजी आने पर ब्याज दरों में वृद्धि की संभावनाओं से भी उन्होंने इंकार नहीं किया।

जमा हिस्सेदारी में गिरावट की रफ्तार और बढ़ेगी
विश्लेषकों का कहना है कि देश के सबसे बड़े ऋणदाता द्वारा उठाए गए हालिया कदम से उनकी जमा हिस्सेदारी में गिरावट की रफ्तार और बढ़ेगी। बचत और सावधि जमा सहित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कुल जमा इस साल मार्च के अंत तक करीब 74 लाख करोड़ रुपए की थी जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 4.2 प्रतिशत अधिक है। इनमें से करीब दो-तिहाई जमा बचत और चालू खाते की जमा है। कुल मिलाकर पिछले वित्त वर्ष के दौरान सरकारी बैंकों की सभी देनदारी अथवा फंड स्रोत में जमा की हिस्सेदारी 82.5 प्रतिशत रही जो वित्त वर्ष 2016 के मुकाबले 81.6 प्रतिशत अधिक है लेकिन मार्च, 2012 के अंत में एक दशक की सर्वाधिक ऊंचाई 85.1 प्रतिशत से कम है।
 


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