किराए पर देना है घर तो जरुर पढ़ें यह खबर

punjabkesari.in Wednesday, Jul 05, 2017 - 03:57 PM (IST)

नई दिल्लीः किराए पर अपना फ्लैट देने वाले लोगों को हमेशा यह डर होता है कि किराएदार कहीं घर हड़प न ले। कई लोग अपना घर खाली रहने देते हैं लेकिन किसी को किराए पर नहीं देना चाहते हैं। वैसे तो किराएदार और मकान मालिक के बीच का झगड़ा कोई नई बात नहीं है। लेकिन घर के लिए रेंट एग्रीमेंट करने से पहले कुछ बातों का ध्यान देना किराएदार और मकान मालिक दोनों के लिए जरुरी है।
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2 तरह के होते हैं एग्रीमेंट
मकान मालिक और किराएदार के बीच दो तरह के एग्रीमेंट होते हैं। पहला, लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट और दूसरा रेंट एग्रीमेंट। लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट में मकान मालिक को किराएदार की मर्जी के बगैर घर में दाखिल होने का पूरा अधिकार होता है। ऐसी हालत में किराएदार के पास कुछ भी कहने का हक नहीं है। वहीं, रेंट एग्रीमेंट में मकान मालिक अपने किराएदार को एक तय समय के लिए तय कीमत में घर का पूरा अधिकार देता है। यानी जितने दिनों के रेंट एग्रीमेंट है उस फ्लैट पर किराएदार का हक होगा।
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मकान मालिक के पास भी चाबी
रेंट अग्रीमेंट के इलावा लीव ऐंड लाइसेंस एग्रीमेंट में प्रॉपर्टी के अहाते का अधिकार किराएदार के पक्ष में नहीं होता है। पजेशन दिखाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट में अडिशनल लाइन जोड़ी जाती है कि मकान मालिक के पास भी घर की चाबियां रहेंगी।

नोटिस पीरियड 
मकान मालिक या किराएदार में जो भी लीज एग्रीमेंट को खत्म करना चाहता है, उसे दूसरे को नोटिस देना पड़ता है। नोटिस पीरियड खत्म होने के बाद ही लीज एग्रीमेंट भी खत्म हो सकता है जबकि लीव ऐंड लाइसेंस एग्रीमेंट में कोई नोटिस पीरियड की जरूरत नहीं होती है।
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इन बातों का रखें ध्यान
लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट में यह साफ-साफ लिखना जरूरी है कि एग्रीमेंट किसके-किसके बीच हो रहा है। इसकी जरूरत रेंट एग्रीमेंट में नहीं होती है। जब इस तरह का करार होता है तो उसमें किसी खास व्यक्ति का नाम लिखने के बजाय लाइसेंसर और लाइसेंसी लिख सकते हैं। इसमें करार किसी खास शख्स के बजाय मकान मालिक और किराएदार के बीच होगा। अगर किसी किराएदार का नाम लिख देंगे तो वह उस खास शख्स के लिए ही होगा।


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