RBI की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक आज से, क्या होगी ब्याज दरों में कटौती?

punjabkesari.in Tuesday, Dec 05, 2017 - 10:13 AM (IST)

नई दिल्लीः रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एम.पी.सी.) की दो दिवसीय बैठक आज शुरू हो रही है। रिजर्व बैंक बैठक में अपनी मुख्य नीतिगत ब्याज दर वर्तमान स्तर पर ही बनाए रख सकता है तथा उसका ध्यान महंगाई नियंत्रण पर केंद्रित रहने की संभावना है। बैठक के नतीजों को छह दिसंबर को घोषित किया जाएगा। बैठक में ब्याज दरों पर फैसला करने से पहले जीडीपी ग्रोथ, महंगाई, निजी क्षेत्र के निवेश, क्रूड की कीमतों और निर्यात में कमजोरी जैसे अहम फैक्‍टर पर विचार किया जाएगा।

उद्योग जगत को है कटौती की उम्मीद
विशेषज्ञों के अनुसार, आर्थिक वृद्धि में लगातार पांच तिमाहियों की गिरावट के बाद सितंबर में समाप्त तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में सुधार होने से रिजर्व बैंक पर दर में कटौती का दबाव कम हुआ है। वैसे उद्योग जगत की मांग है कि ब्याज दर में कटौती की जाए ताकि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा देश की रेटिंग बढ़ाने से बाजार में जगे उत्साह का लाभ उठाया जा सके। गौरतलब है कि 3 और 4 अक्तूबर को मौद्रिक नीति समिति की बैठक में बैंक ने रेपो रेट को 6 प्रतिशत पर जबकि रिवर्स रेपो रेट को 5.75 प्रतिशत पर बरकरार रखा था।

तेल की कीमतें होगी अहम मुद्दा 
बैठक में अंतराष्‍ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें अहम मुद्दा होगा। मोजूदा समय में कच्‍चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल है। लेकिन कीमतों में इजाफा होने की संभावना नहीं है। ओपेक ने तेल का उत्‍पादन घटाने की बात कही है लेकिन सभी ओपेक देश ऐसा करेंगे इसकी उम्‍मीद बहुत कम है। इसके अलावा अमेरिका ने भी शैल गैस का उत्‍पादन शुरू कर दिया है। ऐसे में अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में खास इजाफा होने की संभावना नहीं है।

समिति में शामिल हैं ये सदस्य 
मौद्रिक नीति समिति में सरकार द्वारा नामित सदस्यों में चेतन घाटे, पामी दुआ, रवीन्द्र एच ढोलकिया शामिल हैं। वहीं रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर उर्जित पटेल, मौद्रिक नीति प्रभारी डिप्टी गवर्नर विरल.ए. आचार्य और बैंक के कार्यकारी निदेशक मिशेल डी पात्रा इसके सदस्य हैं।

क्या होती है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आर.बी.आई. कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे।

रिवर्स रेपो रेट
यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आर.बी.आई. में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।    


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