खट्टे फलों की बागवानी के लिए 500 किसानों को कोटा में किया गया प्रशिक्षित

punjabkesari.in Monday, May 22, 2017 - 12:12 PM (IST)

कोटाः राजस्थान में कोटा के उद्यानकी उत्कृष्टता केन्द्र में हाडौती क्षेत्र के 500 किसानों को सिट्रस (कीनू, मौसमी, संतरा जैसे नींबू परिवार के खट्टे) फलों की बागवानी के लिए प्रशिक्षत किया गया है। यह केन्द्र इजराइल तकनीक पर पौधो के विकास और उद्यानिकी प्रबंधन पर कार्य कर रहा है। प्रदेश में सिट्रस फलों की पैदावार को बढाने के उद्देश्य से कोटा के नान्ता स्थित केन्द्र में पौधो के विकास और उद्यानिकी प्रबंधन के इस अनूठे केन्द्र में 24 किस्म के फलों की पौध विकसित की जा रही है।  

केन्द्र के उप निदेशक राशिद खान ने बताया कि लगभग 2 सालों से हाडौती क्षेत्र के 500 किसानों को इस केन्द्र में प्रशिक्षित किया गया है। हम लोग 24 किस्म के फल जिसमें किन्नू, नागपुर मंडरेन, जाफा, क्लेमेंटाइन, जैसे फलों को विकसित कर रहें हैं। 2014-15 में स्थापित केन्द्र में किसानों को उद्यानिकी तकनीक के बारे में जागरूकता और प्रशिक्षण के जरिए उद्यानिकी तकनीक, सिंचाई के साथ उर्वरक का प्रयोग, छतरी प्रबंधन और सिंचाई प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस केन्द्र में बीमारी रहित स्वस्थ्य पौधे विकसित कर किसानों को रियायती दरों पर वितरित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इजराइल तकनीक के प्रयोग से पौधो की रख-रखाव की लागत में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्वि होती है लेकिन किसानों को होने वाला फायदा भी करीब 30 से 35 प्रतिशत बढ़ सकता है। 

उन्होंने बताया कि किसानों को 50 रुपए प्रति पौधा वितरित करने से पूर्व पौधों को पहले प्राथमिक नर्सरी में विकसित किया जाता है उसके बाद उसे दूसरी नर्सरी में शिफ्ट कर विकसित किया जाता है। किसान 5 से 6 सालों के बाद वाणिज्यिक रूप फलों की पैदावार मिलने लगेगी। विकसित पेड़ों को अच्छे रख-रखाव से 24-25 साल तक जीवित रख कर फल लिए जा सकते हैं। केन्द्र में 12 किस्म के लगभग 65 हजार पौधे तैयार है।


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