मल्टीनैशनल कम्पनियों ने रूई से कमाया इतना धन!

punjabkesari.in Sunday, May 21, 2017 - 10:28 AM (IST)

जैतो: देश के विभिन्न कपास पैदावार राज्यों की मंडियों में गत 16 मई तक 311.69 लाख गांठ कपास पहुंचने की सूचना है। यह जानकारी आई.सी.सी. मुम्बई सूत्रों से मिली है। सूत्रों के अनुसार दिन-प्रतिदिन देश में कपास की रोजाना आवक कमजोर होती जा रही है। आजकल आवक 4900-5300 गांठ की रह गई है जबकि पंजाब में कपास आवक मात्र 100-150 गांठ व हरियाणा में 900-1000 गांठ रोजाना रह गई है। देश में मिलों व लघु उद्योगों की खपत 3.2 करोड़ गांठ मानी जाती है। रोजाना 85-90 हजार गांठ रोजाना खपत है। देश में रूई की कोई कमी नहीं है लेकिन पता नहीं इस बार कपास जिनरों (तेजडिय़ों) व कुछ ट्रेडर्सों को किस बात को लेकर मोटी तेजी नजर आई और उन्होंने लाखों गांठ रूई कब्जे में कर ली। 

अधिकांश तेजडि़ए नहीं कमा पाए मुनाफा 
माना जाता है कि देश में 50-55 लाख गांठ से अधिक अनसोल्ड स्टॉक तेजडिय़ों के कब्जे में है। सूत्रों के अनुसार लक्ष्मी जी के खजाना मंत्री कुबेर जी ने तेजडिय़ों को कई बार मुनाफा उठाने का मौका दिया लेकिन अधिकांश तेजडि़ए मुनाफा उठाने से रह गए। दूसरी तरफ मल्टीनैशनल रूई कम्पनियों ने रूई बाजार में तेजी आने का खूब लाभ उठाया जिससे उन्हें भारी मात्रा में मुनाफा हासिल हुआ। बाजार में यह खास बात रही है कि जब-जब रूई बाजार में तेजी का उछाल आया तो रूई स्टॉकिस्ट (तेजडि़ए) बाजार से दूर रहे और तेजी का लाभ लेने से वंचित रह गए। अभी भी स्टॉकिस्टों को रूई में बड़ी तेजी की संभावना है। 

रूई का आयात और निर्यात दो गुना होगा कम
दूसरी तरफ रूई मंदडिय़ों की दलील है कि रूई में तेजी का पुन: उफान आना मुश्किल लगता है क्योंकि इस बार गत वर्ष की तुलना में रूई का दो गुना आयात और निर्यात 8-9 लाख गांठ कम होगा। फिर तेजी कहां से आएगी? याद रहे कि इस बार कई हफ्ते पहले रूई ने पंजाब 4920 व हरियाणा 4820 रुपए मन का 7वें आसमान पर झंडा गाड़ दिया था तो तेजडिय़ों के सपने और ऊपर होने लगे लेकिन अचानक मार्कीटिंग चीफ शुक्र ग्रह ने बैक गीयर लगा दिया जिससे कपास जिनरों (तेजडिय़ों) में कई हफ्तों से बड़ी हलचल बनी हुई है क्योंकि रूई के भाव औंधे मुंह गिर कर पंजाब 4660-4680 रुपए मन व हरियाणा 4570-4590 रुपए मन रह गए हैं। बाजार जानकार सूत्रों के अनुसार अधिकांश स्पिनिंग मिलर नहीं चाहते हैं कि रूई में बड़ी मंदी बने क्योंकि मिलरों ने ऊंचे भावों में रूई खरीद रखी है जिसका धागा महंगा पड़ता है। यदि रूई मंदी हो गई तो धागे (यार्न) के भाव गिरेंगे। इससे मिलों को मोटा नुक्सान होगा।
 


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