पाकिस्तान की वजह से हो रहा भारतीय चीनी उद्योग को नुक्सान

punjabkesari.in Monday, Dec 11, 2017 - 10:56 AM (IST)

नई दिल्लीः चीनी कारोबारियों और इसका भंडारण करने वालों (स्टॉकिस्टों) ने सरकार से चीनी आयात पर 10 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ाने की मांग की है। कारोबारियों का कहना है कि पाकिस्तान से आने वाले अनचाहे आयात से घरेलू चीनी उद्योग को नुकसान हो रहा है। गुरुवार को पाकिस्तान सरकार ने चीनी निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए 15 लाख टन तक चीनी पर 10 प्रतिशत (10.70 पाकिस्तानी रुपया प्रति किलोग्राम) निर्यात सब्सिडी देने की घोषणा की।

चीनी उद्योग को पाकिस्तान से चीनी के सस्ते आयात का डर
इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि वहां चीनी कारोबारी सब्सिडी प्राप्त 15 लाख टन चीनी सड़क मार्ग से भारत के सीमावर्ती राज्य पंजाब को निर्यात कर सकते हैं। पाकिस्तान से देश में अगर अतिरिक्त चीनी का आयात हुआ तो घरेलू चीनी उद्योग पर बुरा असर पड़ सकता है। भारत में अक्टूबर से शुरू हुए पेराई सत्र के बाद से ही चीनी की कीमतों में नरमी का रुख बना हुआ है। ऐसे में अगर बाहर से चीनी की अतिरिक्त आपूर्ति हुई तो घरेलू बाजार में कीमतें और कम हो जाएंगी। पाकिस्तान सरकार अपने निर्यातकों को चीनी पर इतनी सब्सिडी दे रही है कि वहां से इसका भारत को आयात करना पूरी तरह संभव है।

अक्टूबर से चीनी कीमतों में आई है कमी
पड़ोसी देश पाकिस्तान से वाघा सीमा के जरिये चीनी आती है और इससे पाकिस्तान को परिवहन खर्च भी काफी कम पड़ता है। ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन के मुख्य कार्याधिकारी एस पी भागडि़या ने कहा कि देसी चीनी उद्योग को पाकिस्तानी चीनी से बचाने के लिए सरकार चीनी पर आयात शुल्क 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत करने पर विचार कर सकती है। पाकिस्तान मुख्य तौर पर व्हाइट प्लांटेशन शुगर का उत्पादन करता है। इस समय व्हाइट शुगर की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमत 370 डॉलर प्रति टन है। मौजूदा मूल्य पर आयात समानता है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफी अनश्चितता है और कीतमें नीचे भी आ सकती हैं और नहीं भी। इस बीच, भारत में चीनी के पिछले साल के बचे स्टॉक ने भी कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। देश में लगभग 40 लाख टन चीनी का भंडार बचा हुआ है और इस साल उत्पादन लगभग 2.51 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। ऐसे में कुल आपूर्ति 2.91 करोड़ हो जाएगी, जो सालाना खपत 2.35 लाख टन से अधिक होगी। यही वजह है कि चीनी कारोबारी और स्टॉकिस्ट सरकार से चीनी आयात पर शुल्क बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।


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