ब्लैक मनी पर IT का शिकंजा, जांच के घेरे में नोटबंदी से पहले के बड़े कैश डिपॉजिट

punjabkesari.in Friday, Sep 15, 2017 - 09:41 AM (IST)

नई दिल्ली: नोटबंदी के ऐलान से पहले जिन लोगों ने बड़ी मात्रा में नकदी जमा की थी उनके पीछे भी टैक्स डिपार्टमैंट लग गया है। टैक्स विभाग 8 नवंबर से पहले इस तरह का कैश डिपॉजिट करने वालों से वित्त वर्ष 2010-11 से अब तक के ब्यौरों के बारे में सवाल कर रहा है। मकान खरीदने वाले ऐसे लोगों को भी नोटिस भेजे गए हैं जिनकी ओर से घोषित खरीद मूल्य गाइडैंस वैल्यू से काफी कम पाया गया है। अगर टैक्स अधिकारियों को कोई जवाब नहीं मिला या जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो री-असैसमैंट का आदेश दिया जाएगा।

लेना होगा तुरंत एक्शन
एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि उपलब्ध सूचना के आधार पर मामलों को ज्यादा जोखिम और कम जोखिम की 2 श्रेणियों में बांटा गया है। हाई रिस्क वाले मामलों पर तुरंत एक्शन लेना होगा। अधिकारी ने कहा कि 2010-11 से जुड़े मामलों के समय की पाबंदी भी होगी। लिहाजा उन पर तत्काल ध्यान देना होगा। इन मामलों को उच्च प्राथमिकता में रखा गया है। विभाग ने ऐसे लोगों और इकाइयों से कहा है कि अपने परमानैंट अकाऊंट नम्बर और संबंधित वित्त वर्ष के लिए फाइल किए गए रिटर्न की जानकारी दें। टैक्स अधिकारियों के पास अधिकार है कि इंकम टैक्स एक्ट की धाराओं 147 और 148 के तहत वे ऐसी किसी भी कर योग्य आमदनी का असैसमैंट या री-असैसमैंट कर सकते हैं जिसका असैसमैंट नहीं किया गया हो। प्रॉपर्टी से जुड़े ट्रांजैक्शन में टैक्स अधिकारियों ने गाइडैंस वैल्यू और डिक्लेयर्ड वैल्यू के अंतर पर फोकस किया है। अधिकारियों की दलील यह है कि इस अंतर की जानकारी नहीं दी गई तो बायर और सैलर दोनों ही जांच के घेरे में आ जाएंगे।

18 लाख लोगों की हुई पहचान 
कर चोरों को पकड़ने की मुहिम के तहत इन्कम टैक्स विभाग को बैंकों और फाइनैंशियल इंस्टीच्यूशंस सहित कई स्रोतों से जानकारी मिल रही है। इन्कम टैक्स डिपार्टमैंट ने नोटबंदी के बाद क्लीन मनी अभियान शुरू किया और बड़े कैश डिपॉजिट के ई-वैरीफिकेशन के लिए उसने 18 लाख लोगों की पहचान की थी। इनके अलावा साढ़े 5 लाख और लोगों की पहचान इस अभियान के दूसरे चरण में की गई है। सैंट्रल बोर्ड ऑफ डायरैक्टर टैक्सेज ऐसे लोगों और इकाइयों को पकड़ने के लिए डाटा एनालिटिक्स का सहारा ले रहा है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News