आयरन शीट व TMT उद्योग में भी 2000 करोड़ से ज्यादा का GST घपला
punjabkesari.in Sunday, Mar 18, 2018 - 04:54 AM (IST)
लुधियाना: जी.एस.टी. के जाली बिल घोटाले में आयरन शीट व टी.एम.टी. उद्योग भी आ गया है। इसमें 8 महीने के भीतर ही करीब 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का घालमेल होने के सबूत मिल गए हैं। इस संबंध में फैडरेशन ऑफ पंजाब स्माल इंडटस्ट्रीज एसो. (फोपसिया) ने प्रधानमंत्री कार्यालय को सबूतों समेत रिपोर्ट भेज दी है।
फोपसिया के प्रधान बदीश जिंदल के मुताबिक उनकी एसोसिएशन ने करीब 15 दिन बाजार में छानबीन करने के बाद पाया कि गैल्वेनाइज्ड कोरोगेटिड शीट्स, गैल्वेनाइज्ड प्लेन शीट्स और गैल्वेनाइज्ड प्रोफाइल शीट्स के जाली बिल साइकिल पार्ट्स, आटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों को बेचे जा रहे हैं। इनमें सबसे अधिक बिल निर्यातकों ने खरीदे हैं जिसकी मुख्य वजह है कि आयरन शीट्स पर जी.एस.टी. क्रैडिट नहीं मिलता। दूसरी ओर टी.एम.टी. भी लैंटर यानी छत बनाने में इस्तेमाल होता है। इन्हें निर्मित करने वाली रोलिंग मिलें टी.एम.टी. की जगह एम.एस. राऊंड के बिल काटकर बेच रही हैं।
कंस्ट्रक्शन कंपनियों को ही मिलता है जी.एस.टी. का इनपुट क्रैडिट: टी.एम.टी. पर सिर्फ कंस्ट्रक्शन करने वाली कंपनियों को ही जी.एस.टी. का इनपुट क्रैडिट मिलता है, अन्य किसी भी ग्राहक को नहीं, जबकि एम.एस. राऊंड का अधिक इस्तेमाल इंजीनियरिंग इंडस्ट्री में होता है, इसलिए इन्हें खरीदने वाले ग्राहक बिल लेने से कतराते हैं और इनकी बिक्री करने वालों के पास परचेज तो किताबों में दिखा दी जाती है लेकिन बिक्री के बिल बच जाते हैं जिन्हें वे साइकिल और आटो पार्ट्स उद्योग को 7 से 9 प्रतिशत की दर से बेच देते हैं जबकि बिल पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. लगा होता है और बिल खरीदने वाले इन कंपनियों के अकाऊंट में पूरा पैसा जमा करवा रहे हैं। बाद में बाकी का बचा हुआ जी.एस.टी. का पैसा नकद में बिल बेचने वाले वापस कर रहे हैं। इसी तरह साइकिल और आटो पार्ट्स वाले आगे 28 प्रतिशत जी.एस.टी. लगाकर सरकार से क्लेम कर लेते हैं। यानी दिया उन्होंने सिर्फ 7 से 9 प्रतिशत और क्लेम 28 प्रतिशत हो रहा है। इससे सरकार को करोड़ों का चूना लग रहा है। यही वजह है कि निर्यातकों के रिफंड भी नहीं मिल पा रहे।
प्रोफैशनल लोगों ने तैयार की है रिपोर्ट
छानबीन तथ्यों के आधार पर की गई है। इसकी रिपोर्ट को विस्तार से प्रोफैशनल लोगों से तैयार करवा पी.एम.ओ. को भेज दिया गया है जिसमें यह भी लिखा गया है कि जिले में सेल टैक्स विभाग के जो अधिकारी कई साल से एक ही जगह पर तैनात हैं, उनकी जांच होना भी जरूरी हो गया है। प्रधान जिंदल ने कहा कि पी.एम.ओ. को रिपोर्ट इसलिए सीधी भेजी गई है ताकि इसकी सी.बी.आई. जांच हो सके।
लुधियाना व मंडी गोबिंदगढ़ में ही बिक रहे हैं सबसे ज्यादा बिल
ऐसे बिल लुधियाना की ओवरलॉक रोड और मंडी गोबिंदगढ़ में सबसे ज्यादा बिक रहे हैं। इन्हें खरीदने वाली कंपनियां लुधियाना की है। रोलिंग मिलों को लॉस-प्राफिट का खेल खेलवाने वाले मनीष, गौरव, अमन नामक गुट काफी सक्रिय हैं। फिलहाल मनीष अग्रवाल पुलिस की गिरफ्त में है और पुलिस गहनता से छानबीन कर रही है। बाकी के गुट पुलिस और विभाग की पहुंच से दूर हैं।
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