...तो बिस्कुट को खा जाएगा GST, बंद हो जाएंगी 240 बिस्कुट फैक्टरियां

punjabkesari.in Saturday, Mar 18, 2017 - 09:57 AM (IST)

नई दिल्ली: आम बोलचाल में चायवाला बिस्कुट कहा जाने वाला ग्लूकोज बिस्कुट अगर अगले फाइनैंशियल ईयर से साइज में छोटा हो जाए या इसके पैकेट का वजन घट जाए तो इसके लिए आप गुड्स एंड सॢवसेज टैक्स (जी.एस.टी.) को दोष दे सकते हैं। बिस्कुट मैन्युफैक्चरर्स को लग रहा है कि सस्ते ग्लूकोज बिस्कुट पर महंगे क्रीम या ओट बिस्कुट के बराबर टैक्स लग सकता है। इसकी वजह से इन मैन्युफैक्चरर्स को प्रॉफिट कमाने के लिए साइज घटाने पर मजबूर होना पड़ सकता है, यां फिर यूं कह लें कि अगर जी.एस.टी. बिस्कुट मैन्युफैक्चरर्स पर लागू किया जाता है तो बिस्कुट इंडस्ट्री के खा जाएगा।

बिस्कुट मैन्युफैक्चरर्स वैल्फेयर एसोसिएशन (बी.एम.डब्ल्यू.ए.) के अनुसार ‘‘यह कैटेगरी पूरी तरह से प्राइस पर टिकी हुई है। हम कॉस्ट में होने वाली कोई भी बढ़ौतरी ग्राहकों पर नहीं डाल सकते हैं।’’ इन मैन्युफैक्चरर्स ने जी.एस.टी. काऊंसिल के सामने दलील दी है कि 100 रुपए प्रति किलो से कम रेट वाले बिस्कुट्स को जीरो टैक्स ब्रैकेट में रखा जाए और इस तरह से इन्हें महंगे बिस्कुट्स से अलग माना जाए। मौजूदा वक्त में कम दाम वाले बिस्कुट्स को सैंट्रल एक्साइज से छूट है लेकिन इन पर राज्यों में वैल्यू एडिड टैक्स (वैट) लगता है। एसोसिएशन चाहती है कि इस डिफरैंस को जी.एस.टी. में भी कायम रखा जाए। जी.एस.टी. को 1 जुलाई से लागू किया जाना है।

बंद हो जाएंगी 240 बिस्कुट फैक्टरियां 
बिस्कुट्स मैन्युफैक्चरर्स ने कम कॉस्ट वाले ग्लूकोज और अन्य बिस्कुट्स को प्रस्तावित जी.एस.टी. के दायरे से बाहर रखने की डिमांड कर चेताया है कि यदि इन पर जी.एस.टी. लगा तो करीब 240 बिस्कुट फैक्टरियां बंद हो जाएंगी। उनका कहना है कि 100 रुपए किलो से कम कीमत वाले बिस्कुट बेहद कम माॢजन (2 से 3 पर्सैंट) वाले प्रोडक्ट्स हैं। इन्हें एक्साइज ड्यूटी से छूट मिली हुई है और राज्य स्तर पर इन पर सिर्फ  वैट लगता है। बी.एम.डब्ल्यू.ए. के वाइस प्रैसीडैंट मयंक शाह ने कहा, ‘‘बिस्कुट पर प्रस्तावित 12 पर्सैंट जी.एस.टी. गरीबों के साथ अन्याय होगा। क्योंकि 100 रुपए प्रति किलो से कम रिटेल रेट होने वाले बिस्कुट को मैरिट गुड्स माना जाता है। इन पर जी.एस.टी. लगा तो करीब 240 बिस्कुट फैक्टरियां बंद हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि कुल सेल में सस्ते बिस्कुट की 40 पर्सैंट हिस्सेदारी है।

प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ा, रेट नहीं 
20 से 25 पर्सैंट घटकर रह जाएगी सेल।
18 पर्सैंट तक जी.एस.टी. के तहत टैक्स लगा सकता है महंगे बिस्कुटों पर। 
70 से 100 रुपए किलो के बीच हैं बिस्कुटों के रेट। 
40 रुपए किलो थे रेट वर्ष 1996 में 
20 वर्ष बाद भी यह मात्र 70 रुपए किलो ही है। 
225 पर्सैंट प्रोडक्शन कॉस्ट बढऩे के बावजूद रेट में अधिक बढ़ौतरी नहीं हुई है।

‘‘ड्राई फ्रूट कुकीज और ओट मील को सस्ते बिस्कुट्स के साथ नहीं रखा जा सकता है। इस सैगमैंट में रेटों में बड़ा इजाफा नहीं देखा गया है। भले ही इनपुट कॉस्ट में बढ़ौतरी हुई हो। इसकी वजह यह है कि इस सैगमैंट में कंज्यूमर्स रेटों को लेकर बेहद संवेदनशील हैं जिसके चलते बिस्कुट्स मैन्युफैक्चरर्स की कम कीमत वाले बिस्कुटों को जी.एस.टी. से बाहर रखने की मांग है।’’


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