कालाबाजारी के जरिए हो रही है GST चोरी

punjabkesari.in Tuesday, Mar 13, 2018 - 09:30 AM (IST)

नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के क्रियान्वयन के 9 महीने के भीतर ही राजस्व प्राधिकरणों ने काला बाजारी एवं आयात के निम्न कीमत निर्धारण के जरिए कर चोरी का पता लगाया है। सूत्रों ने कहा, ‘‘प्राधिकरणों ने वृहद पैमाने की सूचनाओं के विश्लेषण की पद्धति (बिग डाटा एनालिटिक्स) के जरिए पाया कि आयातक जी.एस.टी. का भुगतान तो कर रहे हैं पर वे वस्तुओं की आपूर्ति उनका बिल काटे बिना कर रहे हैं, जबकि आयात पर एकीकृत जी.एस.टी. (आई.जी.एस.टी.) के भुगतान का समायोजन अंतिम उपभोक्ता द्वारा चुकाए जाने वाले जी.एस.टी. या फिर रिफंड के दावे के साथ समायोजित किया जा सकता है।

मासिक राजस्व में आ रही गिरावट
प्राथमिक आंकड़ों के अनुसार जी.एस.टी. के तहत मासिक राजस्व में गिरावट आ रही है। 73,000 से अधिक करदाता करीब 30,000 करोड़ रुपए के आई.जी.एस.टी. का भुगतान कर तो रहे हैं पर उसके लिए रिफंड का दावा नहीं कर रहे हैं। आयातित वस्तुओं पर चुकाए गए आई.जी.एस.टी. और उपकर के भुगतान के विश्लेषण से पता चलता है कि 33,000 से अधिक करदाताओं ने 10,000 करोड़ रुपए से अधिक के भुगतान का दावा किया है। विभाग संभावित कर चोरों की पहचान करने के लिए जोखिम आधारित पैमानों का इस्तेमाल कर रहा है तथा प्रोपराइटरी और भागीदारी फर्मों पर नजर रख रहा है। ए.एम.आर.जी. एंड एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि आंकड़ों के विश्लेषण की शुरूआत का मतलब है कि सरकार जल्दी ही कर चोरों की पहचान करने लगेगी।

आयातक नहीं कर रहे क्रैडिट का दावा
विश्लेषण के अनुसार कई बड़ी कंपनियों समेत आयातक आयात पर एकीकृत जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं लेकिन इसके क्रैडिट का दावा नहीं कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि इससे पता चलता है कि घरेलू बाजार में आयातित वस्तुओं की आपूर्ति बिना बिल के की जा रही है। लग्जरी तथा नुक्सानदेह वस्तुओं पर उपकर के मामले में ऐसी स्थिति पाई गई है। जी.एस.टी. परिषद ने शनिवार को हुई बैठक में कर चोरी पर चर्चा की है। सूत्रों ने कहा कि परिषद ने कर चोरी के लिए जिम्मेदार कारकों को समाप्त करने तथा पर्याप्त कदम उठाने के लिए आंकड़ों के आगे भी विश्लेषण का निर्देश दिया है। 


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